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- वारिस पंजाब दे इतिहास अमृतपाल सिंह गिरफ्तार | दीप सिद्धू की मौत अजनाला पुलिस स्टेशन पर हमला पंजाब पुलिस की प्रतिक्रिया
अमृतसर31 मिनट पहले
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पंजाब से तालुकुक रखने वाले खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह के कारण उनकी संस्था ‘वारिस पंजाब दे’ जारी की गई है। इस संगठन की बात करें तो किसान आंदोलन और लाल किले पर खालसा झंडा फहराना सबसे पहले जेहन में आता है। दिल्ली में लाल किला हिंसा के मारे पंजाबी अभिनेता दीप सिद्धू ने इस संस्था को बनाया था।
लाल किले में हुई हिंसा के बाद दीप सिद्धू ने सितंबर-2021 को ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन बनाने का ऐलान किया था। फरवरी-2022 में हरियाणा में हुए सड़क हादसे के दौरान अचानक दीप सिद्धू की मौत हो जाने से उनके समर्थक खुद को अकेला महसूस करने लगे। इन तीन स्थितियों का लाभ अमृतपाल ने उठाया। खालिस्तान स्ट्रेंज के बीच अमृतपाल के होने की एक बड़ी वजह यह थी कि उसने अपने ऐश्वर्यवादी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए पंजाब को आधार बनाया।

किसान आंदोलन के दौरान अपनी शानदार अंग्रेजी के चलते देश-दुनिया में मशहूर हुए पंजाबी अभिनेता दीप सिद्धू ने 29 सितंबर 2021 को चंडीगढ़ में ‘वारिस पंजाब दे’ संस्था बनाने की घोषणा की थी।
‘वारिस पंजाब दे’ का सांकेतिक
वारिस पंजाब दे संगठन को जानने के लिए सबसे पहले 29 सितंबर 2021 को दीप सिद्धू के कहने वाले शब्दों को याद करने की जरूरत है। दीप सिद्धू ने उस दिन चंडीगढ़ में पागलपन से बातचीत करते हुए कहा था कि केंद्र सरकार की सभी शक्तियों को केंद्रीयकृत करके राज्यों को उनके मूल अधिकारों से वंचित कर दिया गया है। इस नीति से पंजाब को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है।
केंद्र द्वारा पंजाब के साथ जुड़ी हुई विश्वास की सूची बहुत लंबी है और अब इसे नहीं दिया जा सकता है। इसलिए उनका संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक राज्यों की स्वायत्तता और मौलिक अधिकार नहीं मिल जाते।
दरअसल ‘वारिस पंजाब दे’ पंजाब के अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ाई का दावा करता है। दीप सिद्धू ने इस संस्था का मकसद पंजाब के हक की लड़ाई को ही आगे बढ़ाया था। दीप सिद्धू ने कहा था कि उनका संगठन किसी राजनीतिक एजेंडे पर नहीं चलेगा मगर राजनीति से इसके संबंध और खालिस्तान की मांग करने वाले लोग इससे शुरू से जुड़े रहे। संगरूर सीट पर हुए उपचुनाव में जीतने वाले सिमरनजीत सिंह मान इस संगठन की हिमायत करते हैं। सिमरनजीत हमेशा से खालिस्तान के लिए आवाज उठा रहे हैं।
12वीं के बाद दुबई गई, पगड़ी तक नहीं पहनी थी
30 साल के अमृतपाल सिंह का जन्म अमृतसर जिले के बाबा बकाला तहसील के तहत जलूपुर खेड़ा गांव में हुआ। उन्होंने शुरुआती पढ़ाई गांव के स्कूल में पूरी की। 12वीं की पढ़ाई के बाद 2012 में पूरा परिवार दुबई चला गया और अमृतपाल ने वहां अपने अंकल का ट्रांसपोर्ट का बिजनेस संभाल लिया। उनके ज्यादातर रिश्ते दुबई में रहते हैं।
फरवरी-2022 से अमृत पहले विदेशी जीवन शैली से बेहद प्रभावित था और पगड़ी तक नहीं पहनता था। उनका ज्यादातर सोशल मीडिया पर अकाउंटिंग था। आज भी सोशल मीडिया पर अमृतपाल के ऐसे कई फोटो मौजूद हैं जिनमें वह छोटे बालों और ट्रिम्स में नजर आता है।
फरवरी 2022 में दीप सिद्धू के निधन से बदली चीजें
फरवरी-2022 को दीप सिद्धू की कार का एक्सीडेंट हो गया जिससे उसकी मौत हो गई। उसके बाद ‘वारिस पंजाब दे’ संस्था में हेड का पद खाली हो गया। दीप सिद्धू की अचानक मौत से सब कुछ बदल गया और उनके समर्थक निराश महसूस करने लगे। 2022 में ही पंजाब ने अमृत से पलटते हुए दावा किया कि ‘वारिस पंजाब दे’ वेबसाइट रहने वाले लोगों को जोड़ना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे वह खुद को ‘वारिस पंजाब दे’ के नए मुखिया के तौर पर प्रोजेक्ट करने लगा।
दीप सिद्धू सिर्फ पंजाब की बात करते थे। अमृतपाल ने भी रास्ता तो वही चुना मगर अपने शब्द दीप सिद्धू से ज्यादा तीखे रख। कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होने के कारण युवा भी साथ जुड़े। सितंबर-2022 में अचानक ‘वारिस पंजाब दे’ के हेड पोस्ट के लिए अमृतपाल सिंह का नाम लुढ़कने लगा।

लाइमलाइट में आया ‘वारिस पंजाब दे’
दीप सिद्धू के निधन तक ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन लोकप्रिय नहीं था, लेकिन अमृतपाल के आने के बाद यह अचानक लाइमलाइट में आ गया। खालिस्तान की हिमायत करने वालों के बीच अमृतपाल के मशहूर होने की बड़ी वजह यह भी रही कि उसने अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए पंजाब को आधार बनाया। इससे पहले स्कीस्तान आंदोलन को बढ़ावा देने वाले तमाम लोग दूसरे देशों में बने रहे जिसके कारण यहां के लोग उनसे ज्यादा कनेक्ट नहीं करते थे। पंजाब में खालिस्तान की हिमायत करने से अमृतपाल की पॉपुलेरिटी तेजी से मिलेगी।
दीप सिद्धू के परिवार ने किया विरोध
अमृतपाल का नाम ‘वारिस पंजाब दे’ के नए हेडड्रेस के आने के तौर पर सामने ही विवाद भी शुरू हो गए। खुद दीप सिद्धू के परिवार के सदस्यों ने इस पर सवाल उठाए हैं। दीप सिद्धू का परिवार बार-बार कह रहा है कि अमृतपाल का चुनाव गलत तरीके से हुआ। हालांकि अमृतपाल इसका विरोध कर रहा है। अमृतपाल का दावा है कि दीप सिद्धू के परिवार के सदस्यों की रजामंदी के बाद ही वह इस पद पर बैठने के लिए राजी हुआ।

29 सितंबर 2022 को वारिस पंजाब दे की पहली वर्षगांठ पर मोगा जिले के रोडे गांव में कार्यक्रम द्वारा अमृतपाल सिंह की इस संस्था के प्रमुख के तौर पर ताजपोशी की गई। रोडे गांव के संत जरनैल सिंह भिंडरांवाला का है।
भंडरांवाला के गांव में ताजपोशी
29 सितंबर 2022 को ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन की पहली वर्षगांठ पर मोगा जिले के रोड गांव में एक बड़ा हादसा हुआ। उसी कार्यक्रम में अमृतपाल की ‘वारिस पंजाब दे’ के नए प्रमुख के रूप में ताजपोशी की गई। माना जाता है कि इस कार्यक्रम के लिए रोडे गांव का चुनाव बहुत सोच समझ कर किया गया है। रोडे संत जरनैल सिंह भिंडरांवाला का गांव है। अमृतपाल की ताजपोशी से जुड़े प्रोग्राम में सिख नेताओं के साथ-साथ रेडिकल सोच वाले कई नेता भी पहुंचे थे।
भिंडरांवाला के रूप में बाणा, देश विरोधी समानता
अमृतपाल स्वयं को संत जरनैल सिंह भिंडरांवाला से प्रभावित करता है। उन्होंने भिंडरांवाला की ही तरह युवाओं को अपने साथ जोड़ना और संगठन के क्षेत्र का विस्तार करना शुरू कर दिया। वह भिंदरांवाला की तरह ही कपड़े पहनता है और उसी तरह फोटो खिंचवाता था। अमृतपाल भिंडरांवाला की तरह ठीक उसी शैली में नीली गो भारी पगड़ी बांधता है और अपने सफेद कपड़ों में छोटा रूप धारण करता है। इसी वजह से उन्हें जरनैल सिंह भिंडरांवाला-2.0 तक कहा जाने लगा।
भिंडरांवाला ने 1980 के दशक में सिखों के लिए अलग देश खालिस्तान की मांग उठाई थी। अमृतपाल के भाषण को उकसाने वाले जिससे वह कट्टरपंथी सिख युवाओं के बीच लोकप्रिय हो गए। सिखों और दूसरे समुदायों को बांटने का मकसद धीरे-धीरे धीरे-धीरे उसने यह बात फैलानी शुरू कर दी कि सिख धर्म में खतरा है और सिख दास हैं।
मोदी-शाह को दे दी चुनौती
अमृतपाल खालिस्तान बनाने की अपनी मांग को सही ठहराते हुए तर्क देता है कि यदि कट्टरपंथी हिंदुओं की हिंदू राष्ट्र की मांग जायज है तो सिख राष्ट्र की मांग में क्या गलत है? उसने अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए कई बार बेअंत सिंह की हत्या का हवाला भी दिया। उन्होंने यहां तक कहा कि खालिस्तान का विरोध करने की कीमत पूर्व प्रधानमंत्री इंस्पिरेशन गांधी को चुकानी पड़ी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री शाह और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी उन्हें खालिस्तान की मांग करने से रोक नहीं सकते।
पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह कर चुके विरोध
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 1 सितंबर 2022 को एक सभा के दौरान अमृतपाल सिंह से सवाल किए थे। कैप्टन ने कहा कि अमृतपाल दुबई से आया है और उसका पूरा परिवार दुबई में है। ऐसे में भारत ने उसे भेजा? इसके बारे में सभी जानना चाहते हैं। कैप्टन ने कहा था कि यह पता लगाना पंजाब की आप सरकार की जिम्मेदारी है। कैप्टन ने दावा किया था कि यह सब पड़ोसी देश पाकिस्तान करवा रहा है।
ईसाई धर्म और अन्य राज्यों के विपरीत
पंजाब के तरनतारन में चर्च के अंदर बेअदबी हुई। अमृतसर के जंडियाला गुरु में निहंगों और ईसाई भाईचारे के लोगों के बीच विवाद हुआ तो अमृतपाल ने ईसाई धर्म के कई विपरीत की। इसके बाद पाल ने अमृत पंजाब में काम कर रहे हैं दूसरे राज्यों के विवरण को भी वापस की बात कही। हेट स्पीच में अमृतपाल सिंह ने कभी अपने आप को भारतीय नहीं कहा और भारतीय पासपोर्ट को सिर्फ ट्रेवल के लिए जरूरी दस्तावेज भर बताया।
15 फरवरी को अजनाला में पहला मामला, साथी गिरफ्तार
पंजाब के रोपड़ जिले के तहत चमकौर साहिब के रहने वाले बरिंदर सिंह की शिकायत पर 15 फरवरी को अमृतसर जिले के अजनाला थाने अमृत में पाल सिंह, उनके 5 साथियों और 20 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। बरिंदर सिंह के अनुसार, अमृतपाल और उनके साथियों ने उन्हें प्रभावित किया। एफआईआर होने के दो दिन बाद, 18 मार्च को अजनाला पुलिस ने अमृतपाल के करीबी लव सिंह प्रीति तूफान को गिरफ्तार कर लिया। लव सिंह तेज तूफान गुरदासपुर जिले के तिबडी एरिया का रहने वाला था।
गुरु ग्रंथ संबंधी लेकर रिपोर्ट करना घोर अपराधने
अपने साथी तूफान की गिरफ्तारी के अमृत बादपाल ने लगातार केंद्र और राज्य सरकार के बीच एक-एक करके। उसने बार-बार पुलिस को चेतावनियों के कब्जे में ले लिया। अपने साथी लवप्रीत सिंह तूफान की गिरफ्तारी के पांचवें दिन, 22 फरवरी की शाम अमृतपाल ने अचानक ऐलान किया कि 23 फरवरी को अजनाला थाने का अनाचार किया जाएगा।
23 फरवरी की सुबह से अमृत हीपाल सिंह के समर्थक अजनाला थाने के चौकियां शुरू हो गईं। सुबह करीब 11 बजे अमृतपाल सिंह अपने अजीब के साथ अजनाला पहुंचे। उनके काफिले के आगे पालकी साहिब चल रही थी जिसमें श्री गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश किया गया था। पालकी साहिब को देखकर अजनाला थाने के बाहर पुलिस बल के पीछे हट गया। इसी दौरान अमृत सिंह के दादा ने पुलिस अधिकारियों पर हमला करते हुए थाने पर कब्जा कर लिया।
हालांकि श्री गुरु साहिब लेकर पुलिस थाने जाने की वजह अमृतपाल सिख समाज के अंक पर भी आ गई। सिखों की सर्वोच्च संस्था माने जाने वाले अकाल तख्ता के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने भी अपने कृत्य को गलत बताया। पंजाब के सभी राजनीतिक दलों ने अमृतपाल को खरी-खोटी सुनाई।
अजनाला हिंसा के बाद हौसले संबंधी
अजनाला हिंसा के बाद अमृतपाल परिवारों के हौसले रोशन हो गए। अमृतपाल ने खुले तौर पर पुलिस को बताना शुरू कर दिया। उसका बलात्कार अजानाला हिंसा को लेकर मामला दर्ज किया गया की मेट्रो में वापस थाने को घोर घोटालों तक की धमकी दे डाली।
इसी बीच पुलिस ने एम्ट्रेटपाल के बेरोजगारों के लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी। इससे अमृतपाल सिंह फिर भड़क गए।
सुधीर सूरी हत्याकांड में नाम आया
अमृतपाल का नाम पिछले साल पंजाब के स्वयंसेवी नेता सुधीर सूरी की हत्याकांड में भी आया था। सुधीर सूरी के परिवार ने हत्याकांड में अमृतपाल सिंह का नाम भी शामिल करने की मांग की थी। उसके बाद पुलिस ने अमृतपाल को मोगा के गांव सिंघावाला में बंद कर दिया था। अमृतपाल वहां से जालंधर के नगर कीर्तन में शामिल होने के लिए रवाना होने वाला था लेकिन उससे पहले ही पुलिस ने गुरुद्वारा के पास उसे बंद कर दिया।
10 फरवरी को इंग्लैंड की लड़की ने शादी की
अमृतपाल ने इसी साल 10 फरवरी को अपने माता-पिता गांव जल्लूपुर खेड़ा में एक सामान्य कार्यक्रम में इंग्लैंड की रहने वाली एनआरआई लड़की किरण दीप कौर के साथ शादी की। अमृतसर में बाबा बकाला के एक गुरुद्वारा में ‘आनंद कारज’ में दोनों के परिवार के सदस्य शामिल थे। किरणदीप का परिवार मूल: जालंधर जिले के कुलारां गांव का रहने वाला है और कुछ समय पहले इंग्लैंड में सैटल हो गया है।
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