वाशिंगटन18 मिनट पहले
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पिछले कारोबारी दिन बैंक के शेयर का भाव 19 डॉलर के निचले स्तर तक पहुंच गया था। ऐसे में इस बैंक को लेकर चिंता बढ़ गई।
अमेरिका में बैंकिंग सेक्टर क्राइसिस का नाम नहीं ले रहा है। सिलिकॉन वैली बैंक और सिग्नेचर बैंक के बाद अब पहला रिपब्लिक बैंक भी बंद होने का खतरा मंडराने लगा है। पिछले 5 दिनों में फर्स्ट रिपब्लिक बैंक के शेयर में 65.61% की गिरावट दर्ज की गई है।
वहीं पिछले हफ्ते की बात करें तो फर्स्ट रिपब्लिक बैंक स्टॉक की कीमत में 74.25% की गिरावट आ चुकी है। पिछले कारोबारी दिन का भाव 19 डॉलर प्रति शेयर के निचले स्तर तक पहुंच गया था। ऐसे में इस बैंक को लेकर चिंता बढ़ गई।
मूडीज ने फर्स्ट रिपब्लिक बैंक को अंडर रिव्यू में रखा है
रेटिंग एजेंसी मूडीज (मूडीज) ने भी जिन छह अमेरिकी नागरिकों को अंडर रिव्यू में शामिल किया है, उनमें पहले गणतंत्र बैंक का नाम भी शामिल है। इसके अलावा रेटिंग एजेंसी ने जिओन्स बैन कॉपियोरेशन, वेस्टर्न एलियंस बैनकॉर्प, कोमेरिका इंक, यूएमबी फाइनेंशियल कॉर्प और इंट्रस्ट फाइनेंशियल कॉर्पोरेशन की रेटिंग्स को भी अंडरग्रेड करते हुए अंडर रिव्यू में रखा है। इससे पहले सोमवार को मूडीज ने सिग्नेचर बैंक की डेट रेटिंग को डाउनग्रेड कर जंक टेरिटरी में डाल दिया था।
बैंक ने कहा ‘हमारे पास बैंक चलाने के लिए पर्याप्त नगदी’
फर्स्ट रिपब्लिक बैंक ने अपने बचाव में कहा है कि उसके पास बैंक को चलाने के लिए काफी नगदी है। इसने अतिरिक्त नगदी के लिए फेड और जेपी मॉर्गन से हाथ मिलाया। इससे पहले सोमवार को वेस्टर्न एलायंस ने बताया था कि बैंक के पास 25 बिलियन डॉलर से ज्यादा की नगदी उपलब्ध है।
सिलिकॉन वैली बैंक के सवाल पर उठकर बाइडेन गए थे
सिलिकॉन वैली बैंक क्राइसिस अमेरिकी सरकार के लिए परेशानी का सबब बनती दिख रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से सोमवार को इस संकट पर सवाल किया गया तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। इसलिए ही नहीं वे इवेंट से उठकर चले गए।

राष्ट्रपति जो बाइडेन व्हाइट हाउस में “लचीली बैंकिंग व्यवस्था को बनाए रखने और ऐतिहासिक आर्थिक सुधार की रक्षा” विषय पर बोल रहे थे। भाषण खत्म होने के बाद रिपोर्टर ने राष्ट्रपति बाइडेन से पूछा कि आप (सिलिकॉन वैली बैंक क्राइसिस) के बारे में अभी तक क्या जानते हैं कि ऐसा क्यों हुआ? और आप अमेरिकियों को क्या मिला सकते हैं कि ऐसा आगे नहीं होगा?, लेकिन जो बाइडेन इस सवाल का जवाब दिए बिना ही वहां से चले गए।
भारतीय संतों पर अमेरिकी ग्रंथों का प्रभाव नहीं पड़ता
अमेरिका के दो बड़े बैंकों के बैंकर होने का असर भारतीय बैंकों पर नहीं होगा। अमेरिकी निवेश कंपनी जेफरीज और वित्तीय सेवाएं फर्म मैक्वेरी ऐसा प्रमाण पत्र देती है। उनका कहना है कि स्थानीय डिपॉजिट पर जुड़ाव, सरकारी बॉन्ड में निवेश और पर्याप्त नुकसान के कारण भारतीय बैंक मजबूत स्थिति में हैं।
कुछ महीनों से भारतीय बैंक एलियंस के मामले में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। जेफरीज के मुताबिक, ज्यादातर भारतीय शेयरों ने 22-28% ही सिक्योरिटीज में निवेश किया है। साइट के सिक्युरिटीज निवेश में 80% कनेक्शन सरकारी बॉन्ड की है। ज्यादातर बैंक इनमें से 72-78% मैच्योरिटी तक रखते हैं। इसका मतलब यह है कि उनकी वरीयता में गिरावट का असर इस निवेश पर नहीं होगा।
