नई दिल्ली30 मिनट पहले
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देश की राजधानी दिल्ली के बसंत कुंज इलाके में दो दिन में दो सागे भाइयों को आवारा कुत्तों ने नोंच-नोंचकर मार डाला। बच्चों के शव का खुलासा करने वाले डॉक्टरों ने बताया कि उनके शरीर के कई अंग तो करीब-करीब अलग हो गए थे।
आवारा कुत्तों के हमलों में मारे गए साधु भाइयों के नाम आनंद (7) और आदित्य (5) हैं।
10 मार्च को बड़े भाई पर कुत्तों का हमला
दिल्ली पुलिस ने बताया कि 10 मार्च को करीब 10 बजे आनंद अपनी ताई के घर जाने के लिए निकला था, लेकिन काफी देर बाद भी जब वो ताई के घर नहीं पहुंचा तो परिजन ने उसकी मांग शुरू की। शाम 5 बजे आनंद का शव एक प्लाट में मिला। उसके शव पर कुत्तों ने काटे और नोंचने के 20 से ज्यादा निशान बनाए।
12 मार्च को छोटे भाई की शादी हुई
इसके दो दिन बाद यानी 12 मार्च को सुबह आनंद का छोटा भाई आदित्य खुले में शौच के लिए चला गया। यहां कुत्तों ने उस पर हमला कर दिया। शोर सुनकर परिवार के लोग फोटोग्राफी पर पहुंच गए, लेकिन तब तक कुत्तों ने आदित्य को बुरी तरह घायल कर दिया था। परिवार के लोग उसे इलाज के लिए अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

शरीर के कई अंग अलग-अलग हो गए
दिल्ली पुलिस ने बच्चों के शवों का खुलासा किया है, जिसकी अभी रिपोर्ट नहीं आई है। शटरिंग करने वाले डॉक्टर कहते हैं कि कुत्तों ने बच्चों पर बुरा हमला किया है। उनके शरीर के कई अंग तो करीब-करीब अलग हो गए थे।

जानिए स्ट्रीट डॉग क्यों होते हैं एडमखोर
कुत्तों को इंसानों के अनुकूल कहा जाता है। पागल होने के बाद ही यह इंसानों को खतरे के बारे में बताता है। बेगूसराय में स्ट्रीट डॉग के एडमखोर बनने की कहानी जानने के लिए डेली भास्कर ने विशेषज्ञ का पैनल बनाया। इसमें डॉक्टर और जानवरों के रोबोटों के साथ कुत्तों पर काम करने वाले वॉलंटियरों को शामिल किया गया। विशेषज्ञ ने इसके लिए बेगूसराय के उस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति के साथ वहां जीव और मानव निकायों के निपटान में दोषी को जिम्मेदार बताया।

पागल और एडमखोर डॉग में अलग समझ
जानकार लोग पागल कुत्ते को कभी मांस खाने के लिए नहीं छोड़ते। पागल होने के बाद उन्हें भया सताने लगता है। वह इंसानों और जानवरों से खुद को बड़ा खतरा महसूस करने लगते हैं। इसलिथे कि कोई उसके सम्मुख न आए, वह उसे स्मरण रखता है। ऐसे कुत्तों के मुंह से हमेशा लार टपकती है, आंखें लाल हो जाती हैं। वह हमेशा चहल-पहल करता है, स्थिर नहीं रहता। जब कुत्ते पशु और मनुष्य का मांस या खून खाते हैं, तब वे मांस खाने के लिए ही लोगों को खोलते हैं। वह पागल कुत्ते की तरह एक बार जबड़े नहीं काटते, बल्कि अधिक से अधिक मांस खाने के उद्देश्य से उतर जाते हैं। पागल कुत्ते झुंड नहीं रहते, खूंखार और आदमखोर हमेशा झुंड में ही हमला करते हैं। वह इंसानों को एक साथ मनुष्यों को मारता है मांस के फायदे।

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