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- सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट परिसर के अंदर मस्जिद को हटाने का आदेश दिया
नई दिल्ली2 मिनट पहले
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उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय परिसर में फ़ैसला बरकरार रखा है। कोर्ट ने मस्जिद हटाने का विरोध करने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया। साथ ही मस्जिद हटाने के लिए तीन महीने का अल्टीमेटम दिया। SC ने कहा कि अगर तय समय में मस्जिद नहीं हटाई जाती है तो उच्च न्यायालय सहित संबंधित अधिकारियों के अधिकार होंगे कि वे निर्माण को हटा दें या गिरा दें।
जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि मस्जिद जिस पर बनी है, उसका लीज का समय खत्म हो गया है। ऐसे में मस्जिद को वहां पर बनाए रखने का दावा नहीं किया जा सकता है। जज ने मुकदमे को शपथपत्र को मस्जिद के लिए पास में ही जमीन देने के लिए यूपी सरकार के पास अपना पक्ष रखने की अनुमति दी है।
बता दें कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2017 में मस्जिद को परिसर से हटाने का फैसला दिया था, जिसे वक्फ मस्जिद उच्च न्यायालय और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
कोर्ट में कपिल सिब्बल ने ये दलील दी दी
कोर्ट के फैसले की प्रबंधन समिति की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल पेश किए गए। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट की बिल्डिंग साल 1861 में बनी थी। 1988 के आस-पास के इलाके में मस्जिद था। यहां मुस्लिम वकील नमाज अदा करते हैं। इसे यूं ही हटाने के लिए नहीं कहा जा सकता।
सिब्बल ने कोर्ट में बताया कि जिस जमीन पर था वह 30 साल के लिए लीज पर था। यह लीज 2017 में खत्म हो गया था, लेकिन साल 2017 में यूपी की सरकार बदलने के बाद से सब कुछ बदल गया है। वहीं, उच्च न्यायालय की ओर से पेश हुए वरिष्ठ एडवोकेट राकेश द्विवेदी ने कहा कि यह पूरी तरह से धोखाधड़ी का मामला है।