नई दिल्ली4 मिनट पहलेलेखक: वैभव योजनाटकर
2024 में मोदी के लिए कौन? फैसले के लिए ये फिर सबसे बड़ा सवाल है। जवाब तलाशने के लिए कभी पूर्व, कभी चेन्नई तो कभी हैदराबाद में बात-मुलाकात होती रहती है। पर असली सवाल कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने पूछा, जगह थी पुतेपुर। निश्चित के नेता सीपीआई(एम) के राष्ट्रीय अधिवेशन में जुटे थे। इसी में सलमान खुर्शीद ने पूछा, ‘पहले आई लव यू कौन बोलेगा?’

सलमान खुर्शीद के सवाल का जवाब अब भी नहीं मिला है, लेकिन कांग्रेस में उनके साथी रहे कपिल सिब्बल के लिए कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने नया संगठन बनाया है- ‘इंसाफ के अनुयायी’। इसी के साथ विपक्षी दल आपस में जुड़ रहे हैं। सिंबल आज यानी 11 मार्च को दिल्ली केतर जंमंतर पर ‘न्यू विजन ऑफ इंडिया’ बताने वाले हैं।
पढ़े इन अहम मुद्दों पर कपिल सिब्बल से खास बातचीत…
सवाल: आप करीब 32 साल से राजनीति में हैं, लेकिन सिर्फ दो चुनाव जीते हैं, आपको पैराशूट कैंडिडेट भी कहा गया। आपका कोई जनाधार नहीं है, तो बाकी नेता आपके साथ क्यों आते हैं?
उत्तर: मैं कोई पार्टी नहीं चलाता। पार्टी के सिस्टम में किनारे पर ही रहा हूं। वर्किंग के अंदर अलग-अलग तरह के अनुपात चल रहे हैं। कहीं-कहीं दूसरी जाति पर राजनीति चलती है, कई पैमाने पर होते हैं, लेकिन ये सभी पूर्वाग्रह के जजमेंट हैं, मैं उस पर क्या रखता हूं।
सवाल: आपके प्लेटफॉर्म को कांग्रेस, आप, सपा, राजद, झामुमो ने समर्थन दिया है। ये बीजेपी के खिलाफ एक नया मोर्चा ही तो लग रहा है?
उत्तर: मेरा प्लेटफॉर्म तभी पहुंचेगा, जब सभी दल बेइंसाफी के खिलाफ लड़ाई भी लड़ेंगे। बंगाल में ममता, महाराष्ट्र में हवाईअड्डा, केरल में सीपीएम, बिहार में तेज, यूपी में सभी झारखंड में हेमंत सोरेन, कश्मीर में फारुक साहब के साथ बेइंसाफी हो रही है। अगर हम इसके खिलाफ इंसाफ के मंच पर आ जाएं, तो ये रूपरेखा राष्ट्रीय रूपरेखा बन सकती है।
प्रश्न: क्या सच में, ममता, के एक्स, अखिलेश, स्टालिन, महबूबा मुफ्ती कभी एक मंच पर आ सकते हैं? आपको लगता है, ये अपना सामाजिक महत्व भूल जाएंगे?
उत्तर: ये ही संभव नहीं कि सभी पार्टनर्स सभी मुद्दों पर एक हो जाएं। हर राज्य की अपनी-अपनी समस्या है। पश्चिम बंगाल में सीधी बेटी ममता जी और बीजेपी की है, इसमें कांग्रेस का ज्यादा रोल नहीं है। बंगाल की लड़ाई बंगाल में होगी, इसका प्रभाव महाराष्ट्र में नहीं दिखेगा। महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी बीजेपी के साथ लड़ाई लड़ेगी। इसलिए विपक्षी दल एक मंच पर आ जाएं, तो भी ये लड़ाई हर प्रदेश में अलग-अलग ही लड़ेगी।
सवाल: सीट के बंटवारे जैसे मुद्दों पर बिखराव और बीजेपी को फायदा?
उत्तर: आप चिंता की बात कर रहे हैं, मैं इसे इंसाफ की सीढ़ी हूं। मौजूदा सरकार लोकतंत्र का गला घोंट रही है, संस्थाएं ईडी, सीबीआई सरकार का साथ दे रही हैं। असली लड़ाई यही है। जहां तक सीट का सवाल है, वो ये तय करें कि ये पार्टियां आपस में जुड़ी हुई हैं, उससे मेरा कोई लेना-देना नहीं है।
प्रश्न: आप 10 साल तक मंत्री रहे हैं, आपको लगता है कि ED-CBI सरकार के पक्ष में कार्रवाई कर रहे हैं? ऐसी कार्रवाई तो आपके समय में भी होती थीं?
उत्तर: अगर आप हिंदुस्तान का नक्शा देखते हैं तो ईडी ने उनसे करार कर लिया है। जहां बीजेपी की सरकारें हैं, वहां तक उनकी सड़क नहीं जाती है। जहां सबसे के नेता बैठे होते हैं, ये वहां गली-गली तक पहुंच जाते हैं। ये सब कुछ बीजेपी के लिए खतरनाक है। बीजेपी सोच रही है कि चुनाव आ रहा है, सिसोदिया को अंदर कर दो, शिबू सोरेन के खिलाफ लोकपाल के नोटिस दे दो, लालू जी से पूछताछ करें। केंद्रीय एजेंसियां राजनीतिक हो गई हैं।

प्रश्न: आपके और अरविंद केजरीवाल की नजदीकियां देंखे, तो बीजेपी ने 14 मई 2014 का एक वीडियो शेयर कर दिया, जिसमें स्मार्टफोन आपको सबसे बड़ा भ्रष्टाचार बता रहे हैं? इतना सब कैसे बदल गया? आप भी शायद उनके मामले लड़ रहे हैं?
उत्तर: अरविंद अरविंद के खिलाफ इस मामले में मामला दर्ज किया गया था। उसके बाद उन्होंने मुझे बताया कि उन्होंने अपनी वजह से नहीं, बल्कि किसी और की सलाह पर ऐसा कहा था, उनकी बात खत्म हो गई। मैं आज तक राजनीति में निजी आरोप नहीं मानता, उसका कोई फायदा नहीं होता। मैं मोदी जी के खिलाफ हूं, लेकिन मेरा उन पर कोई व्यक्तिगत आरोप नहीं है।

प्रश्न: 2011 में आप मंत्री थे, आपने एक टैबलेट का वादा किया था। डाटाविंड को 14 लाख के प्री-ऑर्डर भी मिले थे। नवंबर 2012 तक 10 हजार भी शिप नहीं हो पाए। उस प्रोजेक्ट को क्या हुआ? किसी छात्र को मिला था ये टैबलेट?
उत्तर: नई सरकार आ गई और फिर वो रह गई। नई सरकार आई तो कई सारी योजनाओं के नाम अलग-अलग रखे गए। इसके बारे में मैं 11 मार्च को जंतर-मंतर पर बात करने वाला हूं।
प्रश्न: आपके प्लेटफॉर्म की वेबसाइट पर लिखा है कि न्यायिक प्रणाली की ओवरहॉलिंग होती है। आप 50 साल के वकील हैं, आपके पिता भी वकील हैं, आपका बेटा भी वकील है। आपको अब याद आ रहा है कि न्यायिक प्रणाली पॉल्यूटेड है। जब आप मंत्री थे, तब भी ऐसा ही था या आज ही हुआ है?
उत्तर: मैंने हमेशा ही इसके लिए आवाज उठाई है, हमने कोशिश भी की है। न्यायिक व्यवस्था में कई खामियां हैं और अब ये बढ़ती जा रही हैं। अगर कोर्ट और जज से जनता की देनदारी बने, तो इससे बुरी बात लोकतंत्र में नहीं हो सकती।
सवाल: ‘इंसाफ के सिपाही’ कौन होंगे और वो कैसे काम करेंगे?
उत्तर: इंसाफ का पूरा सिस्टम डीसेंट्रलाइज कैसे से काम करेगा। इंसाफ का साथी कोई भी हो सकता है, वो आजीविका का हो सकता है, कांग्रेस का हो सकता है, सीपीएम का नेता हो सकता है। राजनीतिक दल कोई भी हो, लेकिन वो इंसाफ के मंच के लिए काम कर सकता है।
प्रश्न: राहुल गांधी आपसे सलाह चाहते हैं कि कोई शेयर कैसे बने, तो क्या जवाब देंगे?
उत्तर: राहुल गांधी को पालना कि ‘इंसाफ के अनुयायी’ बन जायें।


कपिल सिब्बल से पहले भी कई नेता आपस में एक होने की कोशिश कर रहे हैं। पढ़ने वाले वे 4 दृश्य, जब सहयोगी नेता एक मंच पर दिखे…
1. 23 मई 2018: जब कर्नाटक में कांग्रेस-जेडी(एस) की सरकार बनी

इस घटना में सोनिया गांधी और मायावती के मिलने का अंदाज काफी चर्चा में था, क्योंकि एक साल पहले ही यूपी चुनाव में मायावती की पार्टी बसपा बुरी तरह हारी थी। उसे सिर्फ 19 साइट्स मिली थीं। कांग्रेस ने ये चुनाव सपा के साथ लड़ा था।
कर्नाटक में कांग्रेस से गठबंधन के बाद जेडी (एस) नेता एचडी कुमारस्वामी ने पद की शपथ ली थी। जद (एस) के 37 और कांग्रेस के 78 विधायक थे। इसके बावजूद 104 सीटों वाली बीजेपी को सरकार बनाने से रोकने के लिए कांग्रेस ने स्वामी को मुख्यमंत्री बनाने का काम किया था।
शपथ ग्रहण समारोह में सचिन गांधी, राहुल गांधी, ममता बनर्जी, मायावती, चंद्रबाबू नायडू, सबलेश यादव, अरविंद केजरीवाल, सीताराम येचुरी, शरद पवार शामिल हुए थे। इस जामवड़े को 2019 के विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के खिलाफ सठ मजबूत मोर्चाबंदी के तौर पर देखा गया, लेकिन इसका फायदा नहीं मिला।
आगे क्या हुआ: 23 मई 2019 को चुनावी गठबंधन में बीजेपी ने 303 टिकटों को जोड़ा। एनडीए को 353 सीटें मिलीं। कांग्रेस की सिर्फ 52 सीटें जीतीं।
2. 27 अगस्त 2017: पटना में लालू की रैली में

लालू की रैली के बारे में कहा जा रहा था कि इसमें पहली बार सपा प्रमुख अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती एक मंच पर आए। बाद में मायावती ने रैली में आने से इनकार कर दिया था।
गांधी मैदान में राजद नेता लालू प्रसाद यादव ने 22 विपक्षी दलों के नेताओं को गिरफ्तार किया नए महागठबंधन का रास्ता निकाला। इस रैली को ‘देश बचाओ-भाजपा वायनाडो’ का नाम दिया गया। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, सपा प्रमुख अखिलेश यादव, झारखंड मुक्ति मोर्चा के हेमंत सोरेन शामिल हुए। रैली में विराट कोहली और गांधी का रिकॉर्ड सच हुआ।
आगे क्या हुआ: बिहार में 2020 के विधानसभा चुनाव में NDA को 125 सीट मिलीं, BJP को 74, JD(U) को 43 सीट मिलीं। राजद का सबसे बड़ा दल बना, वह 75 जुड़ते देखे।
3. 18 जनवरी 2023: मार्केटिंग के सीएम के। चंद्रशेखर राव की रैली में

वेबसाइट के लिए। चंद्रशेखर राव यानी केसीआर ने अपनी पार्टी संबद्ध राष्ट्र समिति का नाम अलग भारत राष्ट्र समिति बनाया था। इसके बाद केसीआर का यह पहला शक्ति प्रदर्शन था। इसमें अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान समेत 4 राज्यों के सीएम पहुंचे थे।
प्राधिकरण के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने खम्मम में रैली की। इसमे सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, पंजाब के सीएम भगवंत मान, केरल के सीएम पिनराई विजयन और कम्युनिस्ट नेता डी किंग शामिल हुए। हालांकि, ममता बनर्जी इसमें शामिल नहीं हुईं और निखिल कुमार को नहीं बुलाया गया। कांग्रेस भी इसमें शामिल नहीं हो रही।
4. 1 मार्च, 2023: स्टालिन के 70वें जन्मदिन पर

स्टालिन के जन्मदिन पर हिंदी पट्टी के बड़े नेता चेन्नई पहुंचे थे। हालांकि, ममता बनर्जी, तंत्रिका कुमार, अरविंद केजरीवाल और नौकरीपेशा सीएम के। चंद्रशेखर राव इस कार्यक्रम में नहीं आए।
तमिलनाडु के लिए एमके स्टालिन के 70वें जन्मदिन पर डीएमके ने बड़ी रैली की। इसमें स्टालिन के साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सपा प्रमुख अखिलेश यादव, बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और राष्ट्रीय सम्मेलन के नेता फारूक अब्दुल्ला शामिल हुए। हालांकि, इस दौरान स्टालिन ने कहा कि डरावने मतभेद से ऊपर उठकर बीजेपी को हराने के लिए साथ आना चाहिए, तीसरे मोर्चों की बात बेमानी है।