तेहरान2 घंटे पहले
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तेहरान के एक स्कूल के बाहर मौजूद पुलिस (फाइल)
ईरान में 100 से अधिक सरकारी कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया है। इन पर स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी में पढ़ने वालों को जहर देने का आरोप है। ईरान में पिछले साल 16 सितंबर से हिजाब विरोधी प्रदर्शन शुरू हो गए थे। इसके बाद करीब पांच हजार होस्ट रहस्यमयी तौर पर बीमार हो गए।
वैश्विक दबाव के बाद ईरान सरकार ने मामले की जांच की। इसमें सामने आया कि दोस्तों के पानी में धीमा जहर फैल गया था। सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामनेई के आदेश के बाद सरकार ने कार्रवाई की। खमनेई ने कहा था- जो भी कसूरवार हो, उसे फांसी पर लटका दिया जाए। इसके बाद इब्राहिम आरईसी की सरकार पर दबाव बढ़ा।
गृह मंत्रालय ने कहा- जांच जारी रहेगी
दुनिया में लड़कियों को जहर दिए जाने के बाद ईरान सरकार की काफी बेइज्जती हुई थी। इसके बाद जांच और अब गिरफ्तारियों का चिंच शुरू हुआ। सरकारी समाचार एजेंसी ‘इरना’ के मुताबिक- गृह मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि इस मामले की जांच लंबी हो गई है। गिरफ्तार लोगों से पूछताछ के बाद सबूत सामने आएंगे। बहुत मुमकिन है कि कुछ और लोगों को गिरफ्तार किया जाए।
देश के कई शहरों के लोगों को गिरफ्तार किया गया है। खबरों के मुताबिक, गिरफ्तार किए गए लोगों में ज्यादातर सरकारी कर्मचारी हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जिन लोगों को पकड़ा गया है वो सरकार समर्थक और कट्टरपंथी हैं।

हिजाब विरोधी प्रदर्शन में करीब-करीब हर एजुकेशन सेंटर के छात्रों ने हिस्सा लिया।
सरकार पर दबाव
- ईरान के अलावा दुनिया के कई देशों में लड़कियों को जहर दिए जाने के मामले को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे थे। पेरेंट्स का कहना था कि यह छात्रों की आवाज़ की साजिश है। सुप्रीम लीडर खामनेई ने इसे नाकाबिले जोक जुर्म बताया था। खामनेई ने कहा था- गुनहगारों की सख्त सजा दी जाएगी।
- गृह मंत्रालय गिरफ्तार लोगों के बारे में फ्रैंक बोलने से बच रहा है। देश के कई हिस्सों में लड़कियों के स्कूल बंद हो गए हैं। जहर जाने का पहला मामला नवंबर में शहर में सामने आया था। यहां 18 लड़कियां गंभीर रूप से बीमार हो गईं।
- साजिश का इसलिए हो सकता है कि सभी बीमारियों में ठीक एक जैसे लक्षण नजर आ रहे थे। उन्हें उल्टी के साथ पैर-पैर सुन्न हो रहे थे और सांस लेने में तकलीफ की शिकायत थी। फरवरी में तेहरान के एक कॉलेज की 100 लड़कियों को एक साथ दाखिल किया गया था। UN में इसका लेकर एक प्रस्ताव भी पास किया गया था।

प्रदर्शन में हिस्सा लेने के लिए छात्राओं ने भी क्लास छोड़ दी। ब्लैकबोर्ड पर स्लोगन लिखा हुआ है।
पोर्न वीडियो दिखाने का भी आरोप
- एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वहां की स्कूल लड़कियों को जबरदस्ती पोर्न वीडियो दिखाकर धमकाया जा रहा है। इन छात्रों का कहना है कि अगर वे सरकार विरोधी प्रदर्शनों में हिस्सा लेंगे तो उनके साथ बलात्कार होगा।
- कुछ पेरेंट्स ने इसकी शिकायत भी की है। इसके बावजूद ईरान इस सरकार के मामले में कुछ बोलने को तैयार नहीं है। ईरान के हिजाब विरोधी आंदोलन में हजारों स्कूलों के होस्ट शिरकत कर रहे हैं। उन्हें अलग-अलग तरह से टॉर्चर किया जा रहा है।
- सऊदी अरब की न्यूज़ वेबसाइट ‘अलअरीया’ ने ब्रिटेन स्थित न्यूज़ वेबसाइट ‘ईरान वायर’ के शिकार लड़कियों को पोर्न दिखाते हुए जानकारी दी है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ईरान की गैर बाध्यताएं इस घिनौनी हरकत को अंजाम दे रही हैं।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके लिए क्लासेज में डेटरी सेशन ठीक किए जा रहे हैं। इन छात्राओं का आना जरूरी है। गैर बाध्यता वाली छात्राओं को धमाका कर रहे हैं कि अगर वे सरकार विरोधी प्रदर्शन में हिस्सेदार बने तो इसके खतरनाक परिणाम होंगे। राजधानी तेहरान के 4 और 5 स्कूलों में यह कार्रवाई की गई है।
- रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बांदर महशर के बयान ने अल नबी स्कूल में जारी किया है, इसका वीडियो दिखाया गया है। इस स्कूल में सबसे पहले (अक्टूबर में) सरकार विरोधी नारे लगे थे। रिपोर्ट में कुछ ऐसी बातें हैं, जिन्हें यहां लिखा भी नहीं जा सकता।

सरकार के खिलाफ कैसे शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन
16 सितंबर 2022 को 22 साल की पुलिस कस्टडी में महसा की मौत हो गई थी। उसने हिजाब नहीं पहना था, जिसे बाद में गिरफ्तार कर लिया गया। ईरान में लड़कियों पर पाबंदियां हैं और हिजाब पहनने को लेकर सख्त कानून हैं।
पुलिस ने बाद में कहा था- पुलिस ने महसा के साथ किसी की पिटाई नहीं की। 13 सितंबर को कई लड़कियों को गिरफ्तार किया गया। उनमें से एक अमिनी थी। उसे ऐसे ही पुलिस स्टेशन ले जाया गया वो बेहोश हो गया। बाद में उनकी मौत हो गई। बहरहाल, इस घटना को 6 महीने बीत चुके हैं, लेकिन ईरान में अब भी सरकार और हिजाब के विरोध में प्रदर्शन जारी हैं। इसमें हजारों पुरुष भी हिस्सा ले रहे हैं।

सरकार ईरान एक और कारण से बदनाम
नाबालिगों को मौत की सजा न देने के यूनाटेड नेशन कंवेंशन को साइन करने के बावजूद ईरान उन शीर्ष देशों में शामिल है जहां ऐसा होता है। एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार ईरान में 9 साल की उम्र पार करने के बाद लड़कियों को मौत की सजा दी जा सकती है। लड़कों के लिए ये उम्र 15 है। वर्ष 2005 से 2015 के बीच लगभग 73 बच्चों को मौत की सजा दी जा चुकी है।
फांसी के तख्त पर पहुंचने से पहले ईरान का हर युवा जिसे मौत की सजा सुनाई गई है वह औसत सात साल की जेल में रहता है। कई मामलों में तो यह 10 साल भी है। इंटरनेशल कानून के तहत 18 साल से कम उम्र के लोगों को फांसी की सजा देने पर रोक है।