तिरुवनपुरम20 मिनट पहले
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दक्षिण भारत में अभी भीषण बारिश से दृश्य ही था कि भीषण गर्मी की चपेट में आ गया। केरल के कुछ डिग्री में तापमान बेशक 35 से 37 डिग्री सेल्सियन के बीच है, लेकिन आशंकित 54 डिग्री तक पहुंच गया है। गर्मी चमकने वाला व्यक्ति गर्मी को महसूस करता है। केरल में अभी भी उच्च ताप और हवा की गति का प्रभाव अधिक है, इसलिए अधिक गर्मी महसूस होने लगती है। इसी ऊष्मा को ऊष्मा के माध्यम से प्रवेश करता है।
राज्य सरकार की चेतावनी- घर से प्रस्थान करें
ताप चमक के अनुसार, तिरुवनंतपुरम, अलप्पुझा, कोट्टायम और कन्नूर जलन के कुछ क्षेत्रों में ताप 54 डिग्री सेल्सियस महसूस किया गया। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने चेतावनी जारी की है कि लोग दिन के समय घर से प्रस्थान करें। गर्मी दुर्घटना का खतरा काफी बढ़ गया है। आमतौर पर कासरगोड, कोझिकोड, मलप्पुरम और कोल्लम में हीट 40-45 डिग्री तक रहता है, जो पिछले दो दिनों से 50 पार कर चुका है। दोपहर के समय लू लगी है।

गोवा में भी लू, स्कूलों में दोपहर की जगहें बंद हैं
मौसम विभाग के अनुसार, उत्तरी गोवा और दक्षिणी गोवा में शुक्रवार को लू चले। 11 मार्च के बाद गोवा के तापमान में 2-3 डिग्री की कमी आ सकती है। प्रचंड गर्मी को देखते हुए सरकार ने शुक्रवार को आदेश जारी किया है कि राज्य के स्कूलों में दोपहर की जगहें बंद हो रही हैं।
राज्यों को एडवाइजरी… छत पर रैपिटर और घर के बाहरी हिस्से के लिए पानी अपने पास रखें
एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया ने संविधान के लेख 51ए (जी) का हवाला देते हुए सभी राज्यों को एक एडवाइजरी जारी की है। इसमें कहा गया है कि राज्य सरकारें लोगों को छत पर रखने के लिए और घर के बाहर लावारिस अधिकारियों के लिए पानी भरकर रखने को कहती हैं। शहर में पोस्टर लगाने वालों को भी सचेत किया जाता है। गर्मी बढ़ रही है, ऐसे में हमें पशु-पक्षियों का भी ख्याल रखना होगा।

ऐसा क्यों? कॉर्डेक्स में कमी के कारण तापमान वास्तविक से अधिक महसूस होता है
भारतीय मौसम विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सोमा सेन राय ने बताया कि तापमान के साथ क्षीणता और हवा की गति दो कारक हैं, इसलिए तापमान अधिक या कम महसूस होता है। जिस तरह एक रात में हवा की गति के चलते तापमान वास्तविक से कम महसूस होता है, उसी तरह गर्मियों में ‘फील लाइक टेंपरेचर’ में कमी की खास भूमिका रहती है, जो गर्मी से गैस को अलग करती है।
गर्मी में शरीर को ठंडा रखने के लिए तेजी से पसीना जमा होता है, लेकिन अगर वातावरण में नमी अधिक हो तो प्यास नहीं लगती। इससे शरीर का ठंडा होने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। इसी से दुर्घटना का खतरा बढ़ जाता है। आईएमडी हीट हीट की गणना नहीं करता है, लेकिन विदेश के कई मौसम विभाग और निजी एजेंसियां इसकी गणना करते हैं।