मार्च 2023 में खरमास: हर साल दो बार खरमास करते हैं। पंचांग के अनुसार जब सूर्य देवता देवगुरु बृहस्पति की राशि धनु और मीन में प्रवेश करते हैं, तब-तब खरमास लगता है। एक माह की अवधि है। हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार खरमास के दौरान कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, जनेऊ संस्कार आदि संपन्न नहीं होता है, क्योंकि खरमास को अशुभ माना जाता है। आइए जानते हैं मार्च में खरमास कब से शुरू हो रहे हैं और इस दौरान कौन से काम नहीं करने चाहिए।
खरमास 2023 कब से शुरू ? (खरमास 2023)
खरमास 15 मार्च 2023 से शुरू हो रहे हैं. इस दिन सूर्य देव प्रात: 06 बजकर 33 मिनट पर मीन राशि में प्रवेश करेंगे। इसे मीन संक्रांति कहते हैं। 15 मार्च 2023 से 14 अप्रैल 2023 की दोपहर 02:59 तक खरमास रहेगा.
खरमास में मांगलिक कार्य पर मनाही क्यों? (खरमास 2023 शुभ)
शास्त्रों के अनसुअर जब सूर्य का गोचर मीन राशि में होता है तब वह अपना तेज कम कर लेते हैं और अपने गुरु बृहस्पति की सेवा में रहते हैं। वहीं सूर्य की वजह से गुरु ग्रह का बल भी कमजोर होता है। शुभ कार्यों के लिए इन दोनों योजनाओं का मजबूत होना जरूरी है। यही कारण है कि खरमास के समय मांगलिक कार्य फलित नहीं होते इसलिए इसमें कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए, हालांकि इस दौरान श्रीहरि विष्णु की पूजा, पाठ, मंत्र जाप बहुत फल देने योग्य है।
अप्रैल में नहीं बजेंगी शहनाई (अप्रैल 2023 में विवाह)
15 मार्च से खरमास का समापन 14 अप्रैल को होगा। खरमास में शादी पर रोक लग रही है। वहीं 1 अप्रैल 2023 को गुरु ग्रह अस्त हो रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार विवाह में गुरु का उदय होना अत्यंत आवश्यक है। गुरु 3 मई 2023 को सुबह 04.56 मिनट पर उदित होंगे। ऐसे में 15 मार्च से 03 मई तक शादी की शहनाइयां नहीं बजेंगी।
खरमास में नहीं करें ये काम (Kharmas 2023 Don’s)
- खरमास में विवाह, सगाई करना वर्जित हैं। मान्यता है कि यदि इस अशुभ अवधि में विवाह आदि कार्य किए जाते हैं तो व्यक्ति को जीवन में कई तरह की जीत प्राप्त होती है। वह ठीक और शारीरिक सुख से विनीत रहता है।
- मुंडन, जनेऊ संस्कार और कान छेदन भी खरमास में वर्जित है। इससे साधक पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वहीं इस अवधि में नए घर में प्रवेश न करें, कहते हैं कि इससे संबंधित दोष है और परिवार में सहयोगी रहते हैं।
- खरमास में नए व्यापार की शुरुआत नहीं करें। कहते हैं कि इससे आपस में टकराव बढ़ जाता है और सफलता मिलने की संभावनाएं नहीं के बराबर हो जाती हैं। आर्थिक मोर्चे पर भी गिरावट का सामना करना पड़ रहा है।
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