कार्यक्षेत्र22 मिनट पहले
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सऊदी क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री सलमान के साथ शाहबाज सरफराज (फाइल)
इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) पाकिस्तान को 1.2 अरब डॉलर की किश्त जारी करने के लिए तैयार नहीं हैं। इस वर्ल्ड बॉडी में अमेरिका का दबदबा जरूर है, लेकिन तीन खाड़ी देश भी पाकिस्तान की मदद कर सकते हैं, क्योंकि वो भी IMF बोर्ड में शामिल हैं।
बहरहाल, ये तीनों ही देश कई महीनों से पाकिस्तान के हक में बोलने को तैयार नहीं हैं। अब पाकिस्तान के मरने की उम्मीद इन्हीं देशों पर टिकी है। अभी, यही पाकिस्तान को दिवालिया होने से बचा सकता है।
अब दूसरा विकल्प भी नहीं
- पाकिस्तान का फॉरेक्स रिजर्व 2 अरब डॉलर से भी नीचे चला गया है। ये पैसा भी सऊदी अरब और यूएई का है। मुल्क का दिवालियापन होने से बचाने के लिए कम से कम 6 अरब डॉलर के फौरन की जरूरत है। IMF से 12 दौर की बातचीत के बाद भी 1.2 अरब डॉलर की किश्त नहीं मिल पा रही है।
- पाकिस्तान अखबार ‘द न्यूज इंटरनेशनल’ ने देश के आला अधिकारियों से बातचीत के बाद एक रिपोर्ट प्रकाशित की। इसके मुताबिक- पाकिस्तान को डूबने से बचाने के लिए IMF का पैसा और दोनों को गारंटी देनी चाहिए। इसमें अरबों, लोग और कतर मदद कर सकते हैं। इन देशों ने कई महीने पहले फॉरेन रिजर्व में कुछ अरब डॉलर निवेश की बात कही थी, इंतजार करते-करते थक चुके हैं, ये पैसा अब तक नहीं मिला।
- रिपोर्ट के मुताबिक- ये तैय ही बे कंट्री IMF का रिव्यू मिशन और बोर्ड में हैं। पिछले साल अगस्त से ये मदद की गारंटी दे रहे हैं, लेकिन अब तक पाकिस्तान को एक पैसा भी नहीं मिला।

क्यों परेशान कर रहे हैं पाकिस्तान गल्फ कंट्री
- रिपोर्ट में आगे कहा गया- IMF ने गेंद को अब पाकिस्तान के पाले में डाल दिया है। वो साफ कह रहा है कि पहले आपके सहयोगी देश (चीन, तैराक, मरे और कतर) से 100% दिए जाएंगे, इसके बाद किश्त जारी की जाएगी।
- दूसरी तरफ, ये देश कुछ और ही सोच रखें। आस-पास के देश आपके पैसे चाहते हैं। इसके लिए उनकी शर्त है कि पाकिस्तान सरकार पहले IMF से अनुमति दे देगी। मतलब साफ है कि दोनों ही पक्षों ने पाकिस्तान को जबरदस्ती उलझा दिया है।
- चीन ने 2 अरब डॉलर का लोन रोल ओवर किया। इसकी खोज कुछ देर के लिए टाल दी गई। इसके बाद 500 मिलियन डॉलर का कर्ज दिया और दिया भी, लेकिन ये कैमल के मुंह में जीरा के बराबर है। आईएमएफ और अन्य देशों के लिए फिक्र की एक बहुत बड़ी वजह पाकिस्तान पर चीन का कर्ज है। दरअसल, पाकिस्तान ने चीन के निजी अधिकारों से भी पैसा लिया है। इसका सबसे दिलचस्प और दिलचस्प दर टॉप सीक्रेट है।
- पाकिस्तान की ये मुश्किल है कि अगर वो IMF और दूसरे देशों को यह बताता है तो चीन नाराज हो जाएगा और अगर नहीं देगा तो IMF और दूसरे देश कर्ज नहीं देंगे।

प्रधानमंत्री की अपील भी काम नहीं आई
- 5 जनवरी 2023 को ‘द गार्डियन’ में लिखे एक लेख में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने दुनिया भर के देशों से मदद की अपील की थी। जुड़ाव मिनिस्ट ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया था कि सऊदी अरब से कुछ दिनों में पैसे मिल जाएंगे। इसके ठीक बाद सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने पाकिस्तान में 10 अरब डॉलर के निवेश पर विचार करने के लिए कहा।
- पाकिस्तान की सेना प्रमुख बनने के लदान महीने के बाद ही जनरल सैयदमिक मुनीर 5 जनवरी 2023 को सऊदी अरब के दौरे पर गए। इससे पहले मई 2022 में सऊदी अरब गए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ को सऊदी अरब से कुल 8 अरब डॉलर का राहत पैकेज मिलने में कामयाबी हासिल हुई थी। इस समय सऊदी अरब ने पाकिस्तान को तेल के लिए दी जाने वाली वित्तीय राहत को भी युगल करने वाली का वादा किया था।
- अगस्त 2018 में इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने थे। इसके बाद ही महीने में वह सऊदी अरब के दौरे पर गए थे। इमरान खान ने करीब 4 साल के कार्यकाल में कुल 32 विदेश यात्राएं कीं, इनमें से 8 बार वो सऊदी अरब गए थे।

सऊदी अरब हर मुश्किल घड़ी में पाकिस्तान की मदद क्यों करता है?
- 1979 में जब इस्लामिक क्रांति की शुरुआत हुई तो इसका केंद्र ईरान था। ईरान के शिया बहुल देश होने की वजह से सऊदी अरब इस क्रांति से डरा हुआ था। इसका काउंटर करने के लिए सऊदी अरब ने पाकिस्तान, भारत सहित सल्बी मुस्लिम देशों में पैसा देना शुरू किया। इससे वह दुनिया भर में मुस्लिम देशों के साथ मजबूत हुआ और इस पूरे क्षेत्र में सूफी इस्लाम की मौजूदगी कम हो गई।
- सऊदी अरब में मक्का और मदीना होने की वजह से ये इस्लामिक दुनिया के लिए काफी अहम है। इसलिए सऊदी अरब फिलिस्तीन का हिस्सा इजरायल का हिस्सा है। अगर गलती से भी सऊदी अरब ने ऐसा किया तो उसके इस्लामिक सभी लोग पर सवाल उठाएं। इस मामले में पाकिस्तान का भी यही रुख है। एक जैसी विदेश नीति दोनों देशों को घनिष्ठ है।
- सऊदी अरब के लिए पाकिस्तान सरकार से वहां की सेना अहम है। इसकी वजह यह है कि पाकिस्तान की सेना दुनिया की 20वीं सबसे ताकतवर सेना है। इस वक्त में करीब 70 हजार पाकिस्तानी सैनिक हैं। 2018 में इमरान खान ने प्रधानमंत्री रहते हुए कहा था कि- ‘सऊदी अरब में मक्का और मदीना है। ऐसे में कोई खतरा दिखाई देता है तो पाकिस्तान सेना ही नहीं यहां के लोग भी सऊदी अरब की रक्षा करेंगे।’
- पाकिस्तान भले ही अमेरिका और ब्रिटेन से सबसे ज्यादा हथियार खरीदता हो, लेकिन जब परमाणु हथियारों की जरूरत पड़ी तो उसके आंतरिक देशों ने मना कर दिया। सऊदी अरब को ये बात अच्छी तरह से पता चलता है कि पाकिस्तान दुनिया का एकलौता ऐसा देश है जो सऊदी अरब को एक इशारा पर परमाणु तकनीक या हथियार फैला सकता है।