कुछ ही क्षण पहले
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चीन एक बार फिर गालवान झड़पों में धारदार और परमाणु हथियारों की खरीद का इस्तेमाल कर रहा है। चाइनीज सोशल मीडिया एप वीबो पर ऐसे ही एक हथियार की तस्वीर वायरल हुई है। तस्वीर में एक सैनिक कांटेदार हथियार पकड़ा हुआ दिख रहा है।
इस अस्त्र को ‘कम्बाइन्ड मेस’ कहते हैं। ये ‘कोल्ड वेपन’ श्रेणी का हथियार है। चीनी सैनिकों के इसी कैटिगरी के इस्तेमाल से 14-15 जून 2020 की दर्मियानी रात गलवान घाटी में झड़पें हुईं। ‘कंबाइन्ड मेस’ धातु से बना हथियार है। येद रौन की तरह दिखता है। इसकी लंबाई 1.8 मीटर होती है। रौड एक सिरा हथौड़े की तरह दिखता है। ये 50 बातें होती हैं। इसमें कांटे होते हैं। दूसरा सिरा भी नुकीला होता है। ये किसी भाले की तरह दिखता है।

ये चीनी सैनिक की तस्वीर है। इसमें उनके हाथ में ‘कंबाइन्ड मेस’ दिख रहा है।
हैंड-कॉम्बैट वेपन्स की खरीदारी चीनी सेना में बढ़ रही है
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, चीन भले ही भारत-चीन सीमाओं पर शांति लाने की कोशिश कर रहा हो या फिर G20 के माध्यम से भारत के साथ डिप्लोमैटिक रिलेशंस में सुधार हो रहा हो, लेकिन हैंड-कॉम्बैट वेपन्स की खरीद को नकारा नहीं जा सकता।
विशेषज्ञों का मानना है कि चीन इन कमजोरियों का इस्तेमाल करके भारतीय सैनिकों को वापस ला सकता है। वो गलावन जैसा हमला दोहरा सकता है। गालवान में हुई झड़पों में भारत के 20 जवान घायल हो गए थे।
चीन ने 2600 मे.स. रिपोर्ट
एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन के करीब 2600 ‘कंबाइन्ड मेस’ हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन ने जनवरी 2023 में मैस और कंबाइन्ड मैस लेने का ऑर्डर दिया था। फरवरी में ये हथियार खरीदने के लिए गए थे। चीनी सेना ने ही इसकी घोषणा की थी।
वहीं, कुछ रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि चाइना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने तियानजिन शहर के अपराधियों को पकड़ने के लिए इसी तरह के हथियारों का इस्तेमाल किया था।

गालवान में हमारे 20 शहीद, चीन के 38 शहीद
15 जून 2020 को संदेश के गलवान घाटी में दोनों रेखाओं के बीच झड़पों में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे, जबकि चीन के 38 जवान शहीद हो गए थे। हालांकि, चाइना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने 4 सैनिकों के मरने की बात स्वीकार ही की थी। यह टकराव करीब 3 घंटे तक चला था।