कार्यक्षेत्र17 मिनट पहले
- कॉपी लिंक

पाकिस्तान की परमाणु मिसाइल नासर (फाइल)
पाकिस्तान की गठबंधन सरकार में शामिल पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने आरोप लगाया है कि अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक फंड (आईएमएफ) की नजर मुल्क की एटमी निराशा और चुनौतियों पर है। आसिफ अली जरदारी की पार्टी के सांसद राजा रब्बानी के इस आरोप का जवाब पहले मंत्री इशाक डार ने दिया। कहा- मुल्क को हम पर भरोसा रखना चाहिए। हम अपनी अटकी और मिसाइल प्रोग्राम पर कोई समझौता नहीं करेंगे।
सरकार में ही जाति
- पाकिस्तान डेमोक्रेटिक फ्रंट (पीडीएम) में इस समय सत्ता है। इसमें कुल 13 पार्टियां शामिल हैं। पीपीपी भी इनमें से एक है। इसके सांसद रब्बानी ने गुरुवार को संसद में कहा- हमारे पास कई ऐसी रिपोर्टें आईं, जिनमें कहा गया है कि IMF इसलिए कर्ज की किश्त जारी नहीं कर रहा है, क्योंकि उनकी नजर हमारे एटमी पहल और प्रोजेक्ट प्रोग्राम पर है। मामूली मंत्री को बताया जाना चाहिए कि क्या है। हमारे बारे में जानकारी क्यों नहीं दी।
- इसके जवाब में इशाक डार ने कहा- हम भी हैरान हैं कि तमाम चीजें और स्पष्ट हो जाने के बावजूद IMF किश्त जारी क्यों नहीं कर रहा। फिर भी मैं आपको गारंटी आश्वासन देता हूं कि हम एटमी शर्त और कार्यक्रम पर कोई समझौता नहीं करेंगे।
- डार के बयान के बाद प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने भी सोशल मीडिया पर कहा- पाकिस्तान किसी भी सूरत में अपनी मर्जी से एसेट्स या प्रोजेक्ट प्रोग्राम पर समझौता नहीं करेगा।

एटम बम बनाने में पाकिस्तान आगे
अमेरिका और चीन के बाद भारत दुनिया का तीसरा ऐसा देश है, जिसका रक्षा बजट सबसे ज्यादा है। हालांकि 2022 में भारत ने अपने कुल जीडीपी का 2.4% धन रक्षा बजट खर्च किया है, जबकि पाकिस्तान अपने कुल जीडीपी का 3.74% रक्षा बजट पर खर्च करता है। 18 मई 1974 को भारत ने पहली बार परमाणु बम का सफल परीक्षण किया था। वहीं पाकिस्तान ने 28 मई 1998 को पहली बार परमाणु बम का परीक्षण किया था। इस वक्त पाकिस्तान के पास 165 परमाणु बम हैं, जबकि भारत के पास 160 परमाणु बम हैं।

परमाणु मानकों के उपयोग पर क्या है भारत-पाक की नीति?
भारत ने वर्ष 1999 में अपना ‘नो फर्स्ट यूज’ की परमाणु नीति घोषित की थी। इसके मुताबिक भारत कभी भी परमाणु प्रदूषण का पहले इस्तेमाल नहीं करेगा। भारत केवल परमाणु हमला होने की स्थिति में ही अपने परमाणु बमों का सहयोग लेगा।
पाकिस्तान की ऐसी कोई नीति नहीं है। यह केवल पाकिस्तान के उच्च कमान पर टिका है कि कब और किस स्थिति में परमाणु हमला किया जाता है। 1999 में पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने ‘नो फर्स्ट यूज’ वाली परमाणु करार को नकारते हुए कहा था, हम अपने देश की सुरक्षा की दिशा में हर जरूरी हथियार का इस्तेमाल कभी भी कर सकते हैं।