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- दिल्ली एम्स के डॉक्टरों ने भ्रूण के दिल की जोखिम भरी बैलून डाइलेशन सर्जरी की
नई दिल्ली17 मिनट पहले
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डॉक्टरों ने मां के पेट से बच्चे के दिल में एक सुई डाली। बैलून कैथेटर की मदद से वॉल्व को बंद कर दिया गया। – फोटो प्रतीकात्मक है
दिल्ली एम्स के डॉक्टरों ने मां के गर्भ में पल रहे बच्चे के होने का खतरा है छोटी दिल की सफल सर्जरी की। डॉक्टरों ने बच्चे के दिल का बंद वाल्व खोलकर बैलून डाइलेशन सर्जरी की। डॉक्टरों ने इस सर्जरी को सिर्फ 90 पैग में पूरा किया। मां व बच्चे दोनों सुरक्षित हैं।
ऑपरेशन एम्स के कार्डियोथोरासिक साइंस सेंटर में किया गया। एम्स के डॉक्टरों की टीम ने इस प्रोसिजर को पूरा किया। अब टीम बच्चे के दिल के धब्बे के बारे में मॉनिटर कर रहा है।
महिला की पिछली तीन प्रेग्नेंसी सफल नहीं होने से गर्भ में बच्चे को थी हार्ट प्रॉब्लम
28 साल की महिला को अस्पताल में भर्ती के लिए किया गया था फर्जीवाड़ा। पिछली तीन प्रेग्नेंसी लॉस हो गई थीं। डॉक्टरों ने महिला के बच्चे की हार्ट कंडीशन के बारे में बताया था और इसे ठीक करने के लिए ऑपरेशन की सलाह दी थी, जिसे महिला ने अपने पति ने मान लिया था।
टीम ने बताया कि जब बच्चे मां के गर्भ में होता है, तब भी कुछ गंभीर तरीकों के हार्ट डिजीज का पता लगाया जा सकता है। अगर ये गर्भ में ही ठीक हो जाते हैं तो जन्म के बाद बच्चे का स्वास्थ्य बेहतर रहने की संभावना बढ़ जाती है और बच्चे का सामान्य विकास होता है।

एम्स के डिपार्टमेंट ऑफ कार्ड साइंस एंड कार्डियक एनेस्थीसिया और डिपार्टमेंट ऑफ ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी (फाइटल मेडिसिन) की टीम ने सर्जरी की।
बैलून डाइलेशन: सुई से ब्लड फ़्लो को बेहतर बना दिया
सर्जरी करने वाले डॉक्टर ने बताया कि बच्चे की सर्जरी का नाम बैलून डाइलेशन है। यह प्रोसिजर अल्ट्रासाउंड गाइडेंस में किया जाता है। इसके लिए मैंने मां के पेट से बच्चे के दिल में एक सुई लगाई। फिर बैलोन कैथेटर की मदद से वॉल्व को खोला गया ताकि रक्त प्रवाह बेहतर हो सके। हम उम्मीद करते हैं कि सर्जरी के बाद बच्चे का दिल बेहतर तरीके से विकसित हो जाएगा और जन्म के समय दिल की बीमारियों का खतरा कम हो जाएगा।
ऑपरेशन में ज़बरदस्त लक्षण तो बच्चे को खतरा था
कार्डियोथोरासिक साइंस सेंटर की टीम के सीनियर डॉक्टर ने बताया कि ऐसा ऑपरेशन गर्भ में पल रहे बच्चे की जान के लिए खतरनाक भी हो सकता है इसलिए यह बहुत संभल कर प्रदर्शन करता है। ज्यादातर हम जब ऐसे प्रोसिजर करते हैं, तो वेजांज प्लास्टी के तहत होते हैं, लेकिन इसे आवश्यक रूप से बांस प्लास्टी के तहत नहीं किया जा सकता है।
ये पूरा प्रोसिजर अल्ट्रासाउंड गाइडेंस के तहत किया जाता है। और इसे बहुत जल्दी करना होता है क्योंकि इसमें हार्ट चेंबर को पंक्चर किया जाता है। अगर इसमें कोई गलती हुई तो बच्चे की जान भी जा सकती है। इसलिए बहुत जल्दी और नाम-सूची के साथ प्रदर्शन किया जाता है। हमने ये प्रोसिजर 90 में पूरा किया। ज्यादा नींद का खतरा तो बच्चे की जान को खतरा हो सकता है।