धर्मशाला4 घंटे पहले
तिब्बतियों के सर्वोच्च आध्यात्मिक गुरु दलाईमा ने कहा कि महात्मा बुद्ध उन्हें प्रसन्न करते हैं। दलाईमा मैकलोडगंज स्थित अपने मुख्य बौद्ध मठ चुगलखांग थेगछेनछोलिंग में चल रहे तीन दिवसीय प्रार्थना उत्सव मोनलम चेनमो के समापन पर बोल रहे थे। इस उत्सव में दुनिया भर में 12 हजार से अधिक यात्रियों ने भाग लिया। 600 साल पुराने इस उत्सव में जातक कथाएं सुनने की प्रथा है। तिब्बती समुदाय में जाति का अर्थ बुद्ध के पिछले जन्मों की कहानियों को पढ़ना है।
दलाईलामा ने कहा कि वह थाईलैंड के बौद्ध लामाओं के साथ संगोष्ठी कर रहे थे। वहां बुद्ध का एक थांका (पेंटिंग) लगा था। उसी दौरान बुद्ध ने उन्हें कॉल किया और चॉकलेट दी। इसका अर्थ ये हुआ कि बुद्ध उनके कार्यकलापों से प्रसन्न हैं।
दलाई लामा ने कहा कि मन में परिवर्तन से ही शांति प्राप्त की जा सकती है। उसके बाद ही उसके मन का क्लेश समाप्त हो जाएगा और ऐसा केवल अभ्यास से संभव हो सकता है।

हिमाचल के मैकलोडगंज में तिब्बतियों के आध्यात्मिक गुरु दलाईलामा लोगों के बीच।
शांत रहो मन
दलाईमा ने कहा कि बाधाओं को दूर करने के लिए मन को शांत रखना चाहिए। मैं बाहर नहीं, बल्कि मन ही में हैं। इसी कारण क्लेश और अनुबंध है। लोगों के मिथाइल ही उन्हें नुकसान पहुंचा रहे हैं। दुख और सुख सभी में हैं और इन्हें दूर करने से ही विश्व में शांति हो सकती है।
उन्होंने कहा कि भारत, तिब्बतन, चीन और मंगोलिया में बौद्ध धर्म को प्राप्त करने वालों की संख्या मिलती है। पाश्चात्य संस्कृति के लोग भी बौद्ध धर्म को मान रहे हैं। धर्म किसी एक व्यक्ति का नहीं होता।
इससे पहले मंगलवार को महोत्सव के आखिरी दिन दलाईलामा महात्मा बुद्ध की प्रतिमा की ओर मुंह करके बैठे हुए। सही ग्रहण करने के बाद उन्होंने अपने बगल में बैठे छोटे लड़के की ओर इशारा करते हुए कहा कि आज हर किसी के साथ मंगोलिया के खलखा जेटसन धम्पा रिनपोछे का पुनर्जन्म होता है।