7.9 C
London
Sunday, March 12, 2023
HomeLife Style & Healthदान देने का सही नियम क्या है? गरुड़ पुराण की इन...

दान देने का सही नियम क्या है? गरुड़ पुराण की इन बातों को मन करेगा तो किसी चीज की कमी नहीं होगी

Date:

Related stories


गरुड़ पुराण, भगवान विष्णु नीति: दान-दक्षिणा करना बहुत ही पुण्य का काम माना जाता है। मान्यता है कि दान देने से पुण्य कर्मों में वृद्धि होती है और दान का फल आपको केवल इस जन्म ही नहीं बल्कि कई जन्मों तक भी मिलता है। यहां तक ​​कि मरने के बाद भी दिए गए दान का फल प्राप्त होता है और स्वर्ग में स्थान प्राप्त होता है। वहीं दान-दक्षिणा करने से भगवान भी प्रसन्न होते हैं।

लेकिन स्वयं दरिद्र होते हुए द्रष्टा बनना आपको भारी पड़ सकता है। इसलिए डान तभी करें जब आप आर्थिक रूप से दान करने में सक्षम हों। गरुड़ पुराण के आचारकंद में नीतिसार के अध्याय में सुखी व समृद्ध जीवन के लिए कई कामों के बारे में बताया गया है, इनमें से एक है ‘दान’। इसमें एक श्लोक के माध्यम से दान के महत्व और दान के बारे में बताया गया है। इसे यदि आप अपने जीवन में अपना लेंगे तो कभी भी किसी कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा। जानिए गरुड़ पुराण में इस श्लोक के बारे में बताया गया है।

द्रष्टा दरिद्रः कृपणोर्थयुक्तः पुत्रोविधेयः कुजनस्य सेवा।
परापकारेषु नरस्य मृत्युः प्रजायते दिश्चरितानि पञ्च।।

गरुड़ पुराण में बताएं इस श्लोक का अर्थ है कि किसी भी व्यक्ति को उस स्थिति में दान नहीं करना चाहिए जब वह स्वयं दरिद्र हो। दरिद्र होकर देखने से आप कंगाल हो सकते हैं। इसके अलावा दिखाने के लिए दान करने से बचना चाहिए। बल्कि उतना ही उतना जितना महत्व आप सामर्थ्य हो। इससे बढ़ कर दान करना आपको भारी पड़ सकता है और बाद में इससे अधिक जीत हो सकती है।

शास्त्रो में बताया गया है कि किसी व्यक्ति को अपने धन या आय के दशांश यानी दस प्रतिशत दान करना चाहिए। उसी के साथ दान किसी ऐसे व्यक्ति को करें जिसे दान की आवश्यकता हो, उसी के साथ दिए गए दान का पुण्य प्राप्त होता है। अघाए हुए करें कभी दान नहीं करना चाहिए। इसके अलावा सुखी जीवन के लिए गरुड़ पुराण में अन्य बातें भी बताई गई हैं जोकि इस प्रकार हैं-

  • धन होने पर न बनने कंजूस- दरिद्र होने पर दाना न बनने और धन होने पर कंसूजी भी न करें। यदि आप सामर्थ्य हैं तो गरीब वीडियो की मदद अवश्य करें।
  • संत को बनाएं संस्कारी- माता-पिता को अपनी संतान को हमेशा अच्छा संस्कार देना चाहिए। जो लोग ऐसा नहीं करते हैं, उन्हें समाज में बदनामी का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए अच्छे कर्म और विचार के साथ बच्चा का पालन-भ्रम करें।
  • स्वयं के लाभ के लिए दूसरों का नुकसान- खुद के फायदे के लिए कभी भी किसी का बुरा नहीं करें। ऐसा करने से आप पाप के भोगी बन जाते हैं।
  • अधर्मी लोगों की संगति में न रहे- संगति का प्रभाव किसी व्यक्ति पर सबसे अधिक पड़ता है। इसलिए अधर्मी और गलत लोगों के संगत से बचें।

#: गरुड़ पुराण: पक्षीराज गरुड़ कैसे बने भगवान विष्णु के वाहन, जानें क्या कहते हैं धर्मग्रंथ



Source link

Subscribe

- Never miss a story with notifications

- Gain full access to our premium content

- Browse free from up to 5 devices at once

Latest stories

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here