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- 70% महिला सर्जन से भेदभाव, 10 में से 6 को नहीं मिलती नौकरी
नई दिल्ली6 मिनट पहले
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पाकिस्तान में बड़ी संख्या में लड़कियां मेडिकल की पढ़ाई करती हैं; लेकिन पढ़ने के बावजूद उनके डॉक्टर बनने का सपना अधूरा रह जाता है। अगर, वे डॉक्टर बन जाते हैं तो नौकरी से कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके कारण अंततोगत्वा उन्हें घर पर बैठने के लिए मजबूर करते हैं।
पाकिस्तान में हुए एक सर्वेक्षण में पता चला है कि संदिग्ध में 70% महिला सर्जनों ने कभी न कभी भेदभाव का सामना किया। ये भेदभाव जेंडर के आधार पर किए गए। एक अन्य सर्वे की शान तो पाकिस्तान में मेडिकल की पढ़ाई करने से 10 में से 6 लड़कियों को इस प्रोफेशन में काम नहीं मिलता है। कई रिपोर्ट्स में यह बात भी सामने आ चुकी है कि पाकिस्तान में पुरुष महिला डॉक्टर्स से इलाज कराने के लिए बचते हैं।
70% फीमेल सर्जन के साथ उत्तेजना और भेदभावः सर्वे
कराची के आगा खान यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल ने पाकिस्तान में महिला डॉक्टरों की स्थिति जानने के लिए एक अध्ययन किया। इसमें देश भर की फीमेल डॉक्टर्स से बात कर पात्र बन गए। इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट में पाया गया है कि 70% फीमेल सर्जनों ने कभी न कभी उत्पीडऩ या भेदभाव का सामना किया। उनके साथ यह भेदभाव केवल महिलाओं के होने के कारण हुआ। अस्पताल में फीमेल डॉक्टर्स के साथ यौन शोषण और भेदभाव की घटनाएं सामने आई हैं। जिसके चलते कई डॉक्टर ने प्रोफेशन से ही दूरी बना ली।

बड़ी संख्या में पाकिस्तानी लड़कियां मेडिकल की पढ़ाई करने के बावजूद अस्पताल में काम नहीं कर पातीं।
मेडिकल रीडर 10 में से 6 पाकिस्तानी लड़की करती है चौका-बर्तन
प्रासंगिक क्षेत्र में महिला डॉक्टरों के लिए काम करना इतना मुश्किल हो गया है कि पहले से अधिक मेडिकल छात्र प्रैक्टिस छोड़ देते हैं। आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्तान में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले 10 में 6 लड़कियां आगे चलकर प्रोफेशन छोड़ देती हैं और घर-गृहस्थी संभालने लगी हैं। कुछ लड़कियां मेडिकल प्रोफेशन छोड़कर कहीं और नौकरी करने लगती हैं।
‘लेबर फोर्स’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक 62% पुरुषों के प्रचार में सिर्फ 18% महिलाओं को मेडिकल प्रोफेशन में नौकरी मिली।
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खुद बीमार हो रही हैं महिला डॉक्टर्स
पाकिस्तान के प्रमुख अखबार ‘द डॉन’ की एक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में महिला डॉक्टरों के साथ उत्पीड़न और भेदभाव के कारण काम करना मुश्किल हो गया है। कई फीमेल डॉक्टर खुद में और शारीरिक रूप से बीमार हैं। उसके लिए काम करने की स्थिति हद से ज्यादा मुश्किल हो गई है। जिसके चलते कई फीमेल डॉक्टर ने अपना प्रोफेशन भी वापस लेने का मन बना लिया है।
पुरुष मरीज इलाज से इंकार कर देते हैं
इससे पहले पाकिस्तान की कई मीडिया रिपोर्ट्स में ये बात भी सामने आई कि पुरुषों ने महिला डॉक्टरों से इलाज से इनकार कर दिया। कुछ लोग धार्मिक और सामाजिक जुड़ाव के चलते महिलाओं से अपने शरीर को छूना नहीं चाहते थे। जिसकी वजह से उन्होंने अस्पताल से महिला की जगह पुरुष डॉक्टर की मांग की। यही कारण है कि निजी अस्पताल महिला डॉक्टर को नौकरी देने से बचते हैं।
घर पर बैठी महिला डॉक्टर पाकिस्तान हेल्थ केयर सिस्टम को संभाल सकती हैं
पाकिस्तान में जितने भी महिला डॉक्टर और मेडिकल प्रोफेशनल घर में बैठे हैं; अगर वो सब काम करने लगें तो पाकिस्तान के हेल्थ केयर सिस्टम में काफी सुधार आ सकता है। मौजूदा वक्त में पाकिस्तान में डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की संख्या WHO के मानक से कम है।
WHO के मुताबिक पाकिस्तान में 10 हजार की आबादी पर 10 डॉक्टर हैं; जबकि स्वीडन जैसे विकसित देशों में ये स्लॉट 70 तक जाता है। दूसरी ओर पाकिस्तान में काफी संख्या में महिला डॉक्टर घर में बैठी हैं।