लंदन5 मिनट पहले
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लंदन के टॉवर में प्रदर्शनी के दौरान कोहिनूर को ‘विजय के प्रतीक’ के तौर पर रखा जाएगा।
ब्रिटेन में कोहिनूर हीरे को ‘विजय के प्रतीक’ के तौर पर टावर ऑफ लंदन में चित्रित किया जाएगा। इसे 26 मई से आम लोगों के देखने के लिए खोला जाएगा। ब्रिटेन में राजघराने के बाकी क्राउन ज्वेल्स के साथ कोहिनूर को भी शामिल किया जाएगा। ब्रिटेन में पैलेस को महिमामंडित करने वाली ऐतिहासिक रॉयल पैलेस ने कहा- कोहिनूर को चित्रित करने के साथ ही कई वीडियो और प्रेजेंटेशन के माध्यम से इसका इतिहास भी बताया जाएगा।
इस्तेमाल किए गए कई गद्दे और वीडियो से बनी प्रेजेंटेशन में कोहिनूर की पूरी यात्रा दिखाई जाएगी। इसमें ये भी बताया जाएगा कि कैसे ये अपने पिछले सभी ओनर जैसे मुगल सम्राट, ईरान के शाहों, अफगानिस्तान के शासक और सिख महाराजा के लिए विजय का प्रतीक रहा है।

इस तस्वीर में महारानी एलिजाबेथ कोहिनूर जड़ा ताज पहने हुए नजर आ रही हैं।
किंग चार्ल्स की ताजपोशी के बाद लगेगी प्रदर्शनी
टावर ऑफ लंदन के गवर्नर एंड्रू जैक्सन ने कहा- ये साल हमारे लिए ऐतिहासिक है। ब्रिटेन के नए राजा चार्ल्स की ताजपोशी 6 मई को होने वाली है। टावर ऑफ लंदन भी अपनी भूमिका में प्लगइन के लिए तैयार है। ताजपोशी के ठीक होने के बाद कई प्रेसीडेंट क्राउन ज्वेल्स की प्रदर्शनी लगेगी। हमारा मकसद लोगों को इस संग्रह के बारे में जानकारी देना है।

6 मई को किंग चार्ल्स का सन्तोषजनक ताजपोशी होगा।
कैमिला नहीं छोटागी कोहिनूर जड़ा ताज
इससे पहले ब्रिटेन की न्यू क्वीन किंग या चार्ल्स-III की पत्नी कैमिला ने क्वीन एलिजाबेथ के कोहिनूर के दौरान ताजपोशी के दौरान, जड़ा ताज को लेने की घोषणा नहीं की थी। दरअसल, रॉयल फैमिली को भारत के साथ रिश्ते टूटने का डर था, जिसे देखते हुए ये फैसला किया गया। इसके बाद कैमिला के लिए क्वीन मैरी का 100 साल पुराना क्राउन तैयार करने की बात सामने आई थी।

भारत कई बार कोहिनूर वापस मांग चुका है
महारानी के ताज में दुनिया के कई बेशकीमती हीरे-जवाहरात जड़े हुए हैं, जिनमें कोहिनूर और अफ्रीका का हीरा ग्रेट स्टार ऑफ अफ्रीका शामिल हैं। इसकी कीमत करीब 40 करोड़ डॉलर हो गई है। भारत ने ब्रिटेन के सामने कई बार कोहिनूर डायमंड पर अपना कानूनी हक होने का दावा किया है। भारत की तरह अफ्रीका ने भी कई बार ब्रिटेन के शाही ताज में जड़े अपनी बेशकीमती हीरे-जवाहरात की मांग की है।
कई देश करते हैं कोहिनूर पर अपना दावा
कोहिनूर डायमंड के इतिहास से जुड़े हुए हैं। कहा जाता है कि 1849 में जब अंग्रेजों ने पंजाब पर कब्जा कर लिया था तो इस हीरे को ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया को सौंप दिया गया था। बाद में इसे और कई उत्तराधिकारियों के साथ ब्रिटेन के शाही ताज में ग्रहण किया गया। भारत के अलावा पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और ईरान भी इस ब्रांड पर अपना दावा कर रहे हैं।