लंदन/वाशिंगटन28 मिनट पहले
प्रतीकात्मक।
चीन की सोशल मीडिया ऐप टिकटॉक को ब्रिटेन सरकार ने बैन कर दिया है। गुरुवार दोपहर ब्रिटेन सरकार की तरफ से एक बयान में कहा गया- कोई भी मंत्री या अधिकारी अपने फोन में टिकट का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। यह देश की सीमाओं के लिए बहुत बड़ा खतरा है।
टिकटॉक के लिए अमेरिका से भी परेशान करने वाली खबर आ रही है। अमेरिकी सरकार ने स्पष्ट किया है कि अगर टिकटॉक की चीन में मौजूद स्थायी कंपनी किसी अमेरिकी कंपनी का बड़ा हिस्सा नहीं बेचती है तो अमेरिका में इसे प्रतिबंधित कर दिया जाएगा। भारत में ये ऐप पहले ही बैन हो गया है।
ब्रिटेन ने चौंकाया
ब्रिटेन की ऋषि सनक सरकार ने गुरुवार को अचानक टिकटॉक पर प्रतिबंध लगा दिया। अभी, इसकी दायरा सीमित है। सभी मंत्रियों और हर सरकारी अधिकारी के लिए ये अब में डेटरी होगा कि वो अपने फोन में टिकटॉक का इस्तेमाल नहीं करेंगे।
कैबिनेट ऑफिस मिनिस्टर ओलिवर डाउडेन ने कहा- कोई भी मिनिस्टर या अफसर अब इस चाइनीज ऐप का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। इस ऑर्डर को फोरन फील होगा। सभी को अपने फोन से यह ऐप डिलीट करना होगा। यह फैसला राष्ट्रीय साइबर सैंबर की रिपोर्ट की जांच के बाद किया गया। इस ऐप की वजह से हमारी राष्ट्रीय शत्रुता पर खतरे की आशंका है।

ब्रिटेन की ऋषि सनक सरकार ने गुरुवार को अचानक टिकटॉक पर प्रतिबंध लगा दिया।
अमेरिका भी टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाएगा
- जो बाइडेन प्रशासन ने टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाने की पूरी तैयारी कर ली है। इसके लिए लीगल ग्राउंड्स तैयार किए जा रहे हैं। ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ की रिपोर्ट के मुताबिक- टिकटॉक की पेरेंट कंपनी को अमेरिकी सरकार ने एक पत्र लिखा है।
- इस पत्र में कहा गया है- चीन में मौजूद कंपनी किसी अमेरिकी कंपनी का एक पक्की और बड़ी पैकेजिंग है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो अमेरिका इस ऐप पर कम्प्लीट बैन लगाएगा।
- चीन ने अमेरिका के कदम को दबाव डालने की साजिश का करार दिया। कहा- अमेरिकी सरकार चीन की सत्ता को बर्बाद करने पर तुली हुई है। हम इस वीडियो शेयरिंग ऐप का इस्तेमाल किसी फ़ायदे के लिए नहीं करते।
- टिकटॉक की परेंट कंपनी का नाम बाइट डेंस है। उसने अमेरिका के कदम पर कहा- हमारे 60% शेयर ग्लोबल इन्वेस्टर्स के पास हैं। 20% कर्मचारी और 20% इसके फाउंडर मेंबर्स के पास हैं। 2012 में बनी यह कंपनी पूरी तरह से काम कर रही है।

भारत में भी टिकटॉक बैन है
- मोदी सरकार ने चार साल पहले टिकटॉक पर बैन लगाया था। चाइनीज कंपनी के वीडियो ऐप टिकटॉप पर पोर्नोग्राफी को बढ़ावा देने के आरोप लगाए गए थे। इसके अलावा उस पर भारतीयों का डेटा चोरी करने का आरोप भी सामने आया था। सबसे पहले मद्रास उच्च न्यायालय ने इस पर प्रतिबंध लगाया था।
- उच्च न्यायालय से प्रतिबंध होने के बाद बाइटडांस ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील की थी। उन्होंने भी मद्रास उच्च न्यायालय का आदेश बहाल रखा था।
- भारत में बैन की वजह से इसकी पेरेंट कंपनी बाइटडांस को रोज 5 लाख डॉलर (3.50 करोड़ रुपए) का नुकसान हो रहा है। मद्रास उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को आदेश दिया था कि टिकटॉक की डाउनलोडिंग पर रोक लगे, इससे पोर्नोग्राफी को बढ़ावा मिल रहा है। इसके बाद सूचना एवं प्रोद्योगिकी मंत्रालय ने एपल को Google को अपने ऑनलाइन स्टोर से टिकटॉक हटाने के लिए कहा था। दोनों बोर्ड ने ऐप हटा दिया। उस वक्त के टिकटॉक वाले देश में 24 करोड़ लोग थे।
टिकटॉक ने क्या कहा था
बैन के टाइम टिकटॉक इंडिया के सीईओ निखिल गांधी ने कहा था- हम भारतीय कानून का पालन कर रहे हैं। हम भारतीय कानून के डेटा के तहत गोपनीयता और सुरक्षा के बारे में सभी सूचनाओं के पालन कर रहे हैं। चीन सहित किसी भी विदेशी सरकार के साथ चीन ने भी भारतीय लोगों की जानकारी शेयर नहीं की है। अगर भविष्य में भी हमसे अनुरोध किया जाता है तो हम ऐसा नहीं करेंगे। हम लोगों की निजता की अहमियत समझते हैं।

बाइडेन प्रशासन ने टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाने की पूरी तैयारी कर ली है।
भारत में लगा चीन से जुड़ा कैसे था
वर्ष 2000 में आईटी कानून में एक धारा बनी – 69A। यह धारा कहती है कि यदि सरकार को लगता है कि देश की सम्प्रभुता, सुरक्षा और एकता के हित में है, तो वह किसी भी कंप्यूटर को आम लोगों के लिए ब्लॉक कर दे सकता है। यह धारा कहती है कि यदि सरकार का आदेश नहीं माना गया, तो सात साल तक की सजा हो सकती है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है। 59 संबंधित धाराओं के तहत प्रतिबंधित है।

भारत सरकार ने इसकी वजह क्या बताई थी
- इन किसी से भारत की सुरक्षा, सम्प्रभुता और एकता को खतरा है।
- 130 करोड़ भारतीयों की गोपनीयता और डेटा को खतरा है। इसकी सूचना मिली।
- इन लोगों का डेटा भारत से बाहरी सर्वर पर भेजा जा रहा है।
- ये डेटा हमलावरों के पास पहुंच सकता है।
- इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर ने उन्हें प्रतिबंधित कर दिया है।
- संसद के भीतर और बाहर भी इनसे जुड़े मामलों को लेकर चिंताएं हैं। जनता भी एक्शन की मांग कर रही थी।
- इंडियन साइबरस्पेस की सुरक्षा और सम्प्रभुता के लिए प्रत्येक को प्रतिबंधित करने का निर्णय लिया गया है।