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Sunday, March 12, 2023
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भारत की व्यापी पढ़ेगा श्रीलंका के 40 लाख बच्चे: पिछले साल दिए गए लोन से छपेंगी किताबें, इंडिया से ही लिया पेपर

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8 मिनट पहले

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पिक्चर सीरियल में छपने वाली पुस्तकें भारत से लिए गए पेपर की है।

भारत की मदद से आर्थिक तंगहाली से जूझ रहे हैं श्रीलंका में 40 लाख बच्चों को किताबें मिलेंगी। इसकी जानकारी खुद इंडियन हाई कमिशन ने दी है। दरअसल पिछले साल मार्च में इकोनॉमिक क्राइसिस से गुजर रहे श्रीलंका को भारत ने 8 हजार 196 करोड़ रुपये की क्रेडिट फैसिलिटी दी थी।

ताकि वहां जरूरी आपूर्ति की आपूर्ति जारी रहे। इसी क्रेडिट फैसिलिटी में से 8 करोड़ रुपए का इस्तेमाल करते हुए श्रीलंका, भारत से प्रिंटिग पेपर और उससे अर्वा मैटिरियल खरीदेगा। जैसे वहां के बच्चों की किताब छपेगी।

भारत ने अब तक श्रीलंका को दी 32 हजार करोड़ रुपए की मदद
भारत ने नेबरहूड प्रथम शर्त के तहत कई तरह से श्रीलंका को मदद करता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत ने अब तक श्रीलंका को 32 हजार करोड़ रुपये का लोन दिया है। यह जरूरी सामान, पेट्रोल, फर्टिलाइजर्स, रेलवे और एनर्जी से जुड़े कामों में खर्च किया गया है।

दरअसल, कुछ ही महीने पहले स्काइप बैंकर हो गया था। इसके बाद वहां गृहयुद्ध के हालात बन गए थे। इस दौर में भारत सरकार ने फूड, फ्यूल और मेडिसिन के साथ करीब 3 अरब डॉलर का फॉरेन डिपॉजिट भी अपने पड़ोसी को दिया था।

श्रीलंका में जब पिछले साल खराब हुए तो महिंदा राजपक्षे परिवार देश से भाग गया।

श्रीलंका में जब पिछले साल खराब हुए तो महिंदा राजपक्षे परिवार देश से भाग गया।

‘श्रीलंका हमेशा भारत का शुक्रगुजार रहेगा’
तीन दिन पहले ही श्रीलंका के विदेश मंत्री ने एक पॉडकास्ट को दिए इंटरव्यू में कहा था कि मुश्किल वक्त में भारत ने उनके देश की सबसे ज्यादा मदद की है और इसके लिए श्रीलंका हमेशा भारत का शुक्रगुजार और अहसानमंदिर रहेगा। श्रीलंकाई फॉरेन मिनिस्टर अली साब्रे ने कहा- सच्चा दोस्त वही होता है, जो मुश्किल वक्त और खराब स्थिति में आपका हाथ थामे और मदद करता है। भारत ने यही किया है।

जानें कि कैसे ऋणों को एसक्यूएल कनेक्शन किया जाता है

  • एक दशक के दौरान श्रीलंका की जमकर कर्ज के लिए, लेकिन इसका सही तरीके से उपयोग करने के बजाय इसका सेवन किया। 2010 के बाद से ही लगातार श्रीलंका का विदेशी कर्ज बढ़ता जा रहा है। श्रीलंका ने अपना अधिकांश कर्ज चीन, जापान और भारत के लिए लिया है।
  • 2018 से 2019 तक श्रीलंका के प्रधानमंत्री रहे रानिल विक्रमसिंघे ने हंबनटोटा पोर्ट को चीन को 99 साल की लीज पर दे दिया था। ऐसा चीन के लोन के बदले किया गया था। ऐसी वस्तु ने उसके गिरने की शुरुआत की।
  • उस पर वर्ल्ड बैंक, एशियाई विकास बैंक जैसे संगठन का भी पैसा है। साथ ही उसने अंतर्राष्ट्रीय बाजार से भी ऋण लिया है। श्रीलंका का एक्सपोर्ट से फॉर्म 12 अरब डॉलर है, जबकि आयात से उसका खर्च करीब 22 अरब डॉलर है, यानी उसका व्यापार घाटा 10 अरब डॉलर है।
  • श्रीलंका की जरूरत की लगभग सभी चीजें, जैसे-दवाएं, खाने का सामान और खाने के लिए खराब तरह से इम्पोर्ट पर कायम है। ऐसे में विदेशी मुद्रा की कमी की वजह से वह ये जरूरी चीजें नहीं खरीद रहा है।

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