मो28 मिनट पहले
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रूस का कहना है कि यूक्रेन में बने बायोकैमिकल लैब को अमेरिका फंडिंग दे रहा है। रूस-यूक्रेन जंग शुरू होने के बाद रूस दावा करता है कि यूक्रेन में जैविक और कैमिकल हथियार तैयार किए जा रहे हैं। इसके लिए अमेरिका कई लैब संचालित कर रहा है।
अमेरिकी सरकार ने भी इस बात को माना है लेकिन कई आधिकारिक बयानों में कहा गया है कि इन लैब को निष्क्रिय कर दिया गया है। इस रिपोर्ट को जारी करते हुए रूस के रक्षा मंत्रालय ने कहा- डी-एक्टिवेटेशन की बात कहने के बावजूद कई अमेरिकी लैब अब भी यूक्रेन में संचालित हो रहे हैं।

यूएस-यूक्रेन मिलिट्री बायोलॉजिकल फील्ड में साथ काम कर रहे हैं
10 मार्च को मॉस्को में इंटरनेशनल पैथोजिन रिसर्च प्रोग्राम पर रिपोर्ट पेश की गई। रूस के जैगर, बायोलॉजिकल और कैमिकल डिफेंस फोर्सेज के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल इगोर किरिलोव ने कहा- अमेरिका द्वारा संचालित इन लैब में खतरनाक पैथोजिन का इस्तेमाल किया जा रहा है। हमें कुछ दस्तावेज मिले हैं जो अमेरिका और यूक्रेन के साथ मिलकर बायो-लैब में काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा- दोनों देश मिलिट्री बायोलॉजिकल फील्ड में काम कर रहे हैं। इसमें पैथोजेनिक बायोमटेरियल्स का ट्रांसफ़र शामिल है। लेफ्टिनेंट जनरल किरिलोव ने चेताया कि अमेरिका और यूक्रेन लैब रूस के खिलाफ जांच कर रहे हैं। लैब में यूज हो रहे इन खतरनाक पैथोजिन्स से कोलेरा (हैजा) जैसी बीमारियां हो सकती हैं। इससे कई तरह के फ्लू होने का खतरा बढ़ सकता है।

इन दोनों ही देशों में वेपन का उपयोग किसी देश की जनसंख्या में व्यापक प्रसार के लिए किया जाता है।
रूसी डिप्लोमैट का आरोप- यूक्रेन में 30 बायो वेपन प्रोग्राम चल रहे हैं
24 फरवरी 2022 में जंग शुरू होने के एक महीने बाद रूसी डिप्लोमैट वेजली नेबेंजया ने आरोप लगाया था कि यूक्रेन अमेरिका की मदद से करीब 30 बायो वेपन प्रोग्राम चल रहा है। यूक्रेन के बैटमेट्स और अन्य प्रवासी पक्षियों के माध्यम से रूस में बीमारी फैलाने की साजिश रच रहे हैं। रूस ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक भी बुलाई थी।
जानिए क्या होता है केमिकल और बायोलॉजिकल वेपन
केमिकल वेपन का मतलब टॉक्सिक केमिकल और जहर का इस्तेमाल करना। इन्हें वाटर सप्लाई, हवा और खाने में देने वाले लोग पहुँच जाते हैं। वहीं बायोलॉजिकल वेपन का मतलब बैक्टीरिया और वायरस जैसे चूहे की मदद से लोग बीमार होकर गिर जाते हैं।
ये प्रभावित करने वाले कई पर भी रहते हैं। जिसकी वजह से बच्चे में शारीरिक और मानसिक रूप से अपंग पैदा होते हैं। दोनों ही हथियार लोगों को तड़पा कर दिखाते हैं।
1937 में मंगोलियाई सेना ने प्लेग से सीधे शवों को ब्लैक-सी के किनारे फेंका था। यह जैविक वेपन के उपयोग का पहला उदाहरण था। अब तक जर्मनी, अमेरिका, रूस और चीन सहित 17 देश जैविक हथियार बना चुके हैं। चीन पर कोरोना जैविक हथियार का इस्तेमाल करने का आरोप लग गया है।
