कीव17 मिनट पहले
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अमेरिका का रीपर ड्रोन (फाइल)
मंगलवार देर रात रूस का एक फाइटर जेट अमेरिका का हाईटेक रीपर ड्रोन दुर्घटनाग्रस्त हो गया। यूएस फॉल्क्स ने इसकी पुष्टि की है। हालांकि, दोनों ही देशों ने इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी है। अमेरिकी सेना ने कहा- इस इलाके में दो रूसी फाइटर जेट मौजूद थे। इनमें से एक विंग समूह दुर्घटनाग्रस्त हो गया। यह आज़ाद यूक्रेन सीमाओं के काफी करीब है।
अमेरिका ने क्या कहा
यूएस एयर फ़ोर्स के जनरल जेम्स हैकर ने कहा- हमारा MQ-9 रीपर इस क्षेत्र में रूटीन गश्त पर था। यह इंटरनेशनल एयरस्पेस है। यहां रूस के एक एयरक्राफ्ट ने इसे इंटरसेप्ट करने की कोशिश की। ऍप्लिकेशन पूरी तरह से बन्धन हो गया है। जेम्स ही इस इलाके में अमेरिकी सेना का नेतृत्व करते हैं।
उन्होंने कहा- रूस की एयरफोर्स का रवैया बेहद गैरजिम्मेदाराना और भड़काउ है। इसे व्यावसायिक कार्य रूपरेखा भी नहीं कहा जा सकता। उनके दोनों एयरक्राफ्ट भी समझ सकते थे। वो पहले भी इस तरह की हरकतें करते हैं। हम इस मामले की जांच कर रहे हैं। यह पता चलेगा कि यह दुर्घटना है या हमारे ड्रोन को अस्पष्ट मार गिराया गया है।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि रूस के हिहोई-25 एयरक्राफ्ट ने अमेरिकी ड्रोन को मार गिराया है।

ड्रोन क्या है
चालक अनुपयोगी विमान अनमैंड एरियल व्हीकल (यूएवी) को ही आसान शब्दों में ड्रोन कहते हैं। पिछले 30 साल से ड्रोन का इस्तेमाल हो रहा है। न केवल मिलिट्री सर्विलांस के लिए बल्कि फिल्म बनाने, किसी क्षेत्र की घुसपैठ और अब तो सामान की नाराजगी में भी। जहां तक मिलिट्री सर्विलांस का सवाल है तो इसकी शुरुआत 1990 के दशक में अमेरिका ने ही की थी।
मिलिट्री टेक्नोलॉजी के एडवांसमेंट के साथ ही एंड्रॉइड का इस्तेमाल करने से दुश्मन को मार गिरने में भी लगने लगता है। 1999 के कोसोवो युद्ध में सर्बिया के सैनिकों के गुप्त अड्डों की स्थापना के लिए पहली बार सर्विलांस ड्रोन का उपयोग किया गया था। 2001 में अमेरिका 9/11 के हमलों के बाद उपद्रवियों की कमी हो गई। उसके बाद तो जैसे यह सबसे उन्नत हथियार के तौर पर विकसित हो रहा है।

मिलिट्री ड्रोन से हमले कब शुरू हुए?
2001 में। अमेरिका ने अक्टूबर 2001 में ड्रोन से पहला हमला किया, जब उसने आलिंद के मुल्ला उमर को निशाना बनाया। मुल्ला की कम्पाउंड के बाहर कार पर ड्रोन से होने वाले हमलों में मुल्ला तो नहीं मेरा, पर उसके बॉडीगार्ड्स मारे गए थे। पहले ही मिशन में नाकामी के बाद भी अमेरिका पीछे नहीं हटा। उसने इस तकनीक को और देखा।
अमेरिका ने ‘वॉर ऑन टेरर’ के दौरान प्रिडेटर और रीपर ड्रोन अफगानिस्तान के साथ ही पाकिस्तान के उत्तरी कबाइली क्षेत्र में भी प्रतिबंध लगा दिया था। अमेरिका ही इराक, सोमालिया, यमन, लीबिया और सीरिया में भी अपना नियंत्रण रखता है। रीपर ड्रोन ही था, जिससे अमेरिका ने अल-कायदा के ओसामा बिन लादेन की निगरानी की थी। जिसके बाद नेवी सील ने 2 मई 2011 को पाकिस्तान के एबटाबाद में लादेन को मार गिराया था। अमेरिका ने आज तक कभी भी ड्रोन हमलों के आंकड़े जारी नहीं किए हैं।
ड्रोन हमलों की निगरानी करने वाले एक समूह जेन्स का दावा है कि 2014-2018 के बीच चार साल में इराक और सीरिया में अमेरिका ने रीपर ड्रोन से कम से कम 2,400 मिशन अंजाम दिए, यानी हर दिन दो हमले किए।