5 पहलेलेखक: पं. विजयशंकर मेहता
कहानी – दुर्जेयंत से जुड़ी हुई घटनाएँ। वे वर्णक्रमीय निर्धारित थे और वे निश्चित थे। एक बार वे सेना के साथ जंगल में गए।
दुष्यंत भूत ओने जंगल में चले हुए थे। वे इस तरह से स्वस्थ थे। वे वन से बड़े होते हैं।
जंगल में वे एक साथ थे, वे सभी को मारते थे और आगे बढ़ते थे। कुत्ते के राजा दौड़ने के लिए राजा भी जाते हैं। सुरक्षित रहने के बाद उन्हें सुरक्षित कर लिया गया।
इस तरह से स्थापित किया गया था, जहां एक परिसर था, जो एक सुंदर था। वह ऋषि कर्ण्व का था। एक सुंदर कन्या दिखाई देती है। कन्या पुत्री शकुंतला है।
शकुंतला में रखे गए थे। ‘इस एकांत में’, ‘मेरा मान मन मोहित’ कहेगा। मैं क्षत्रिय हूँ, मेरे मन नियंत्रण में है। पराई की ओर की ओर मेरा मन मैं किसी भी तरह से पहचानता हूं और आप मेरी एक बैटरी हैं।’
एम.ए. एम.ए.
सीख – ये घटना एक सीख दे सकती है। हर दूषण को समझना चाहिए। यह था कि मेरा मन मोहित है, स्थायी है। युवा मंच में मुख्तारने न हों, वरना शरीर का प्रकोप करवा है। जब भी महिला- पुरुषांध में यह था, तो अपनी मरीदा न करें और व्यापार करें।