इंटरनेशनल डेस्क12 मिनट पहले
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10 फरवरी को रात करीब 8:00 बजे (भारतीय समय के अनुसार) अचानक ईरान की तरफ से एक बयान जारी किया गया। इसमें कहा गया है- ईरान और सऊदी अरब के बीच बीजिंग में डिप्लोमैटिक एग्रीमेंट हुआ है। दोनों देश एक-दूसरे के यहां डिपमोमैटिक मिशन खोलेंगे।
दुनिया के लिए ये चौंकाने वाली खबर थी। इसकी वजह यह थी कि दोनों देशों के बीच कट्टर दुश्मनी हो रही है। वर्ल्ड मीडिया की नजर में तो दोनों देश 7 साल से किसी तरह की बातचीत भी नहीं कर रहे थे। फिर ऐसा क्या हुआ कि अचानक समझौता हो गया और बीजिंग में भी वो?
यही वो सवाल है जिसका जवाब दुनिया और जॉकी पर अमेरिका खोज रहा है। सुपरपाव की इंटेलीजेंसियों को इसका भनक क्यों नहीं दिखता है कि चीन गल्फ रिजन में अमेरिकी रसूख खत्म हो रहा है। रिज्यूमे जानते हैं….




तनाव का सात साल पुराना चिल्ली
- सात साल पहले सऊदी अरब ने ईरान के लिए जासूसी के आरोप में 32 शिया मुस्लिमों के खिलाफ मुकदमा शुरू किया था। इसमें 30 सऊदी अरब के ही नागरिक थे। ईरान ने बदला लेने की धमकी दी थी। ये सभी जेल में हैं।
- इसके बाद, सऊदी अरब ने ड्रग तस्करी के आरोप में ईरान के तीन नागरिकों को सजा-ए-मौत दे दी। दोनों देश जंग की वर्जिन पर पहुंचे। इस दौरान अमेरिका सऊदी अरब की मदद के लिए आया।
- तीन साल पहले ईरान परमाणु संधि से बाहर होने और तेहरान पर प्रतिबंध लागू करने के लिए अमेरिका को सब कुछ सिखाना चाहते थे। इसके लिए हुई अफसरों के बीच इस बात की सहमति बनी कि अमेरिका से सीधे हमले में उलझने के बजाय उसके सहयोगी सऊदी अरब को सब कुछ सिखाएं। इसके लिए यमन के हूती विद्रोहियो को लगातार मदद दी गई। उनसे संपर्क किए गए।
- 2014 में बीबीसी ने एक रिपोर्ट में कहा- जल्द ही सऊदी अरब के पास परमाणु बम होंगे। यह पाकिस्तान द्वारा बनाया जा रहा है। माना जा रहा है कि सऊदी अरब ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम से निपटने के लिए पाकिस्तान परमाणु मानकों में पैसा लगाया है।
- 2017 में तब के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सऊदी अरब में सेना को सक्रिय करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। सऊदी अरब की तेल कंपनी अरामको की दो रिफाइनरियों पर ड्रोन और मिसाइलों के हमले के बाद यह निर्णय लिया गया। इसकी जिम्मेदारी यमन के हूती बोझ ने ली थी, लेकिन अमेरिका और सऊदी अरब दोनों ने इसके लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराया।
- एक बातचीत में सऊदी अरब के प्रिंस सलमान ने कहा था- हमारे तेल संयंत्रों पर हमला ईरान की तरफ से जंग की शुरुआत है। इसके बावजूद हम ईरान के साथ विवाद का हल डिप्लोमैसी से चाहते हैं। अगर जंग हुई तो दुनिया की पारिस्थितिकी व्यवस्था हो जाएगी।
