मुंबई: सुष्मिता सेन (Sushmita Sen) अब पूरी तरह फिट डॉक्टर की सलाह के बाद फिटनेस में जुट गई हैं। सुष्मिता ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर शक्ति का एहसास करवाते हुए पोस्ट किया था और अब शायरी करती हुई नजर आईं। अपने दमखम पर दलित अभिनेत्री को जीत और जीत का जज्बा मिला है। शायद ही साल 1994 में मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता (मिस यूनिवर्स) में अंग्रेजी में पूछे गए सवालों का मतलब समझ नहीं आने पर भी कॉन्फिडेंस के साथ जवाब देकर ताज ने अपना नाम रखा था। इस मजेदार किस्से का खुलासा खुद सुष्मिता ने ही किया था।
हिंदी माध्यम में पढ़ाई करने वाले कई लोग अंग्रेजी भाषा को लेकर हीन भावना का शिकार होते हैं। लेकिन हिंदी माध्यम से पढ़ने वाली सुष्मिता ने ब्लिट्ज ने पहले बताया था कि ज्ञान और जानकारी जरूरी है, भाषा कोई भी हो। सुष्मिता सेन ने बताया था कि जब मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता के फाइनल राउंड में उनसे सवाल पूछा गया था तो उन्हें अंग्रेजी के एक शब्द का मतलब ही समझ नहीं आया था। फिर भी उन्होंने किसी निर्णय को पूरा नहीं किया और पूरे विश्वास के साथ जवाब देकर जज का दिल जीत लिया।
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तब सुष्मिता तो इतनी अंग्रेजी नहीं आई थी
दरअसल, सुष्मिता सेन को अक्सर किसी न किसी शो में कॉल किया जाता है और उनसे उनकी जिंदगी से जुड़ी प्रेरक बातें शेयर करने को कहा जाता है। एक बार अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के परिदृश्य पर सुष्मिता सेन की बेटी अलीशा के स्कूल वाले स्कूल की पत्रिका के लिए साक्षात्कार लिया था। सुष्मिता से पूछा गया था कि ‘किस साल बाद आप राउंड फाइनल के सवाल का जवाब देंगे? इस सवाल के जवाब में सुष्मिता सेन ने कहा था ‘उन्होंने मेरे एक महिला के गुण के बारे में नहीं बल्कि एक महिला के एसेंस के बारे में पूछा था क्योंकि मैं हिंदी माध्यम स्कूल से पढ़ी थी, इसलिए उस समय मुझे इतनी अच्छी अंग्रेजी नहीं आई थी . पता नहीं मुझे एसेंस का क्या मतलब समझ आया और मैंने सटीक नाम जवाब दे दिया था। उस समय मैं 18 साल की थी, मुझे लगता है कि सरस्वती मेरी जुबान पर विराजमान थे और कहा कि ये बोलवा देते हैं क्योंकि आगे चलकर तुम अपनी जिंदगी ऐसे ही सेलेक्ट करोगी’।

मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता के दौरान सुष्मिता सेन। (फोटो साभार: sushmitasen47/Instagram)
महिला के रुपये में पैदा होना ही ईश्वर का महान तोहफा
सुष्मिता ने कहा था ‘मैंने कहा था कि स्त्री के रूप में जन्म लेना ही ईश्वर का महान तोहफा है। मैं आज भी इस पर टिका हूं और इसमें कुछ भी बदला नहीं है। महिला के रूप में जन्म लेना ही ईश्वर का सबसे बड़ा उपहार है और हम सबके लिए सदा के लिए दिया जाएगा। एक महिला सिर्फ गर्भ नहीं है जहां से जीवन मिलता है, इसलिए वह केवल जन्म देने वाली मां नहीं बल्कि प्यार करती है, दिखती है।
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फिर एक्टिव हो गईं सुष्मिता
एक महिला के बारे में 18 साल की उम्र में सुष्मिता के जो विचार थे, वही आज भी हैं। अपनी अक्षमता की दिल की बीमारी को भी बड़ी ही सहजता से लेते हुए एक बार फिर सोशल मीडिया पर सक्रियता हो गई है।
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पहले प्रकाशित : 10 मार्च, 2023, 14:22 IST