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हिमाचल में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद पहले बजट में पार्टी के चुनावी वादों की छाप साफ आई। इसी साल राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक सहित कई बड़े राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं और कांग्रेस उससे पहला संदेश देना चाहती है कि वह चुनाव से पहले जाने वाले पूरे करने को लेकर संजीदा है। फिर बेशक यह संदेश हिमाचल जैसे छोटे पहाड़ी राज्य से ही क्यों न दिया जाए। कांग्रेस हाईकमान की इस मंशा पर भागीदार सुखविंदर सिंह सुक्खू ने काफी हद तक गिरावट की कोशिश की।
अमूमन सत्ता में ही आते हैं कोई सरकार पहले एक-दो बजट में लोक-लुभावन घोषणाएं नहीं करती मगर हिमाचल के मामलों में कुछ अलग सीन हो रहा है। दरअसल साल 2022 में देश के 7 राज्यों में चुनाव हुए और उनमें से हिमाचल प्रदेश इकलौता ऐसा राज्य रहा जहां कांग्रेस ने सीधी टक्कर में बीजेपी को हराकर सरकार बनाई। बाकी 6 राज्यों में गोवा, मणिदीप, पंजाब, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड और गुजरात में कांग्रेस को बीजेपी के हाथों मात मिली। ऐसे में 2023 में कई बड़े राज्यों में होने जा रहा विधानसभा चुनाव से पहले हिमाचल का ये बजट कांग्रेस पार्टी के लिए काफी मायने रखता था और इसी वजह से इसे पूरी तरह से लोकलुभावन रखने की कोशिश की गई। कांग्रेस हाईकमान के लिए हिमाचल के इस बजट का महत्व इसी से समझा जा सकता है कि पार्टी के जुड़े ट्विटर हैंडल से बजट की प्रमुख घोषणाओं को ट्वीट किया गया ताकि उन्हें अधिक से अधिक भागों तक पहुँचाया जा सके।
अब आते हैं हिमाचल प्रदेश बजट पर… अपने पहले बजट में सभी बड़ी घोषणाएं करते हैं तो कर रहे हैं लेकिन इन्हें पूरा करने के लिए मोबाइलीकरण और प्रभावी रूप की सबसे बड़ी आवश्यकता होगी। बजट के बाद अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपनी घोषणाओं के लिए बजट का अधिकार पहले ही कर लेने का दावा किया लेकिन पानी से और शराब पर बताए गए काऊ-सेस की समय पर सही कर्ज लेना आसान नहीं है। हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में काऊ-सेस पहले से लागू है लेकिन यहां इस फंड को लेकर हर तरह की मुश्किलें पेश आ रही हैं। हिमाचल पर चढ़ा 74,622 करोड़ रुपए के पुराने कर्ज का भुगतान भी चुनौती भरा रह गया है।

हिमाचल के भागीदार हिनविंदर सिंह सुक्खू।
13 नई योजना, कमजोर वर्ग पर नजर
अजमेर ने बजट में 13 नई योजना शुरू करने की घोषणा की। हिमाचल को ग्रीन स्टेट बनाने के दिशा-निर्देशों में बड़े ऐलान किए। स्वास्थ्य, सड़क, शिक्षा और सामाजिक आवश्यकताओं को लेकर बड़े काम किए गए। को 1500 रुपए प्रतिमा देने की फ्रीजवाइज पूरा करने का रास्ता निकाल दिया गया, वहीं 30 हजार सरकारी नौकरी देने के जरिए नौजवानों और मानदेय को बढ़ाकर 70 हजार से ज्यादा सरकारी कर्मचारियों को साधने की कोशिश की गई। मनरेगा और दिहाड़ीदारों के मजदूर और पंचायतीराज और नगर निकाय प्रतिनिधियों के मानदेय में भी ये भाषा को संसाधनों की कोशिश की गई है।
अगले साल का आधा बजट लेगी सरकार
वैज्ञानिकों के अनुसार, हिमाचल प्रदेश की उद्योगीकरण के लिए अच्छा संकेत ये है कि अगले वित्तीय वर्ष में सरकार चालू वित्त वर्ष के लिए प्रतिशत कम लोन लेने की प्राथमिकता रखती है। 31 मार्च 2023 तक हिमाचल सरकार का जीडीपी का 6% तक कर्ज डूब जाएगा, जबकि अगले वित्त वर्ष में यह 2.5% कम लोन लेने की बात बजट में दी जाएगी। इसके लिए सरकार इसी वर्ष जनवरी में स्वीकृत उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (FRBM) संशोधन 2023 पास कर चुकी है। सरकार का दावा है कि अगले वित्तीय वर्ष में सरकार कुल 8,353 करोड़ का लोन लेगी। यानी 31 मार्च 2024 तक राज्य पर कुल कर्ज बढ़कर 83,798 करोड़ रुपए हो जाएगा।
बजट में 11956.01 करोड़ का शॉट
चालू वित्त वर्ष में हिमाचल सरकार ने 65569.01 करोड़ खर्च किए जबकि अगले साल के लिए 53,613 करोड़ रुपये का ही बजट पेश किया गया। यानी चालू वर्ष के बजट का आकार 11956.01 करोड़ रुपए छोटा रखा गया है। सरकार को नई घोषणाएं पूरी तरह से बढ़ाने से तीन हजार करोड़ रुपए अतिरिक्त जरूरत पूर्वाग्रह। ऐसे में सरकार की मंशा पर सवाल उठ रहा है कि क्या वह एक वास्तविक आंकड़े छिपाने की कोशिश कर रही है।
बोलेमर- डॉवलपमेंट ओरिएंटिड बजट
हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग के पूर्व आर्थिक और आर्थिक मामलों की सूचनाएं केएस तोमर हिमाचल सरकार के बजट को डवलपमेंट ओरिएंटिड मानते हैं। उन्होंने कहा कि इसमें सभी संक्षिप्तीकरण का ध्यान रखते हुए पार्टी के वादों को पूरा करने का प्रयास किया गया। बजट में रिटाटा मोबलाइजेशन का प्रावधान है। काऊ-सेस, पानी से, डीजल पर वजन और टोल बैरियर और शराब ठेकेदारों की नीलामी से जेब में लगभग पांच हजार करोड़ रुपए अतिरिक्त आगमन का अनुमान है। तोमर की नजर में प्रदूषण से मुक्ति के लिए ग्रीन हिमाचल की कल्पना इस बजट का सबसे अच्छा हिस्सा है।
गुप्ता बोले- फंड कहां से आएगा
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. सुनील कुमार गुप्ता कहते हैं कि बजट में घोषणाएं तो बहुत कर दी गईं लेकिन फंड कहां से आया? इसका प्रावधान बजट गायब है। 30 हजार नौकरियों के बारे में भी स्पष्ट नहीं किया गया है कि यह नियमित आधार पर होगा या तथ्य के आधार पर होगा। शिक्षा क्षेत्र के लिए और आवंटन की जरूरत थी।
सीए बोले- गंभीर संकट से जूझ रहा हिमाचल
चार्टेड अकाउंटेंट (सीए) राजीव सूद कहते हैं कि हिमाचल गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहा है। सरकार ने बेशक काम करने का पूरा प्रयास किया है, लेकिन इसकी वजह से कैपिटल एक्सपेंडीचर के लिए बजट में कमी बनी रहेगी। राज्य का आर्थिक स्वास्थ्य और विकृति। अब कर्मचारियों को चाहिए कि जिस तरह सीएम उन पर भरोसा करते हैं, ठीक उसी तरह वह भी अपनी जिम्मेदारी भरी हुई याचिका को भरने में मदद करें।